आर्थिक प्रबंधन और युवा
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केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की. आर्थिक समीक्षा की 2018-19 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-इस समीक्षा में कई तरह के बड़े परिवर्तन देखने को मिले जबकि पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए आठ प्रतिशत की जीडीपी विकास दर की जरूरत है. वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओड़िशा, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
और क्या है आर्थिक सर्वेक्षण में खास
बड़ा परिवर्तन – निजी निवेश प्रगति, रोजगार, निर्यात और मांग का मुख्य वाहक है. समीक्षा में बताया गया है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान अमीरों को मिलने वाले लाभ के मार्ग गरीबों के लिये भी खोले गये हैं. प्रगति और वृहद अर्थव्यवस्था की स्थिरता का लाभ आखिरी पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचा.
2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए आठ प्रतिशत की सतत वास्तविक जीडीपी विकास दर की जरूरत है. बचत, निवेश और निर्यात को सतत विकास के लिए आवश्यक अनुकूल जनसांख्यिकी चरण द्वारा उत्प्रेरित और समर्थित ‘महत्वपूर्ण चक्र’
निजी निवेश – मांग, क्षमता, श्रम उत्पादकता, नई प्रौद्योगिकी, रचनात्मक खंडन और नौकरी सृजन का मुख्य वाहक.
समीक्षा अर्थव्यवस्था को नैतिक या अनैतिक चक्र के रूप में देखते हुए परम्परागत एंगलो-सेक्सोन विचारधारा से अलग करते हुए कभी भी समतुल्य न होना.
स्वयं स्थापित नैतिक चक्र के लिए प्रमुख बातें-
डाटा को सार्वजनिक वस्तु के रूप प्रस्तुत करना.
कानूनी सुधारों पर जोर देना.
नीति सामंजस्य सुनिश्चित करना
व्यवहारिय अर्थव्यवस्था की सिद्धांतों का उपयोग करते हुए व्यवहार बदलाव को प्रोत्साहित करना. अधिक रोजगार सृजन और अधिक लाभकारी बनाने के लिए एमएसएमई को वित्तपोषित करना.
-पूंजी लागत घटाना
-निवेश के लिये व्यापार में लाभ जोखिम को तर्क संगत बनाना.
-रोबोट नहीं, वास्तविक लोगों के लिए नीतिः झिडके गये लोगों की व्यवहारिय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करना
-शास्त्रीय अर्थशास्त्र की अव्यवहारिक रोबोट से अलग वास्तविक जन के निर्णय
-व्यवहारिक अर्थशास्त्र के लिए झिड़के गये लोगों को व्यवहारिय अर्थशास्त्र ज्ञान उपलब्ध कराता है.
-व्यवारिय अर्थशास्त्र के प्रमुख सिद्धांत
-लाभकारी सामाजिक मानदंडो पर जोर देना.
-डिफोल्ट विकल्प को बदलना
-बार-बार मजबूती सामाजिक परिवर्तन के लिए अपेक्षापूर्ण एजेंडे के सृजन के लिए व्यवहारिय अर्थशास्त्र से प्राप्त ज्ञान का उपयोग
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ‘से बदलाव (बेटी आपकी धनलक्ष्मी और विजयलक्ष्मी)’
स्वच्छ भारत से सुन्दर भारत. एलपीजी सब्सिडी के लिए ‘गिव इट अप’ से ‘थिंक अबाउट द सब्सिडी’
कर वंचना से कर अनुपालन
बौनों को बृहद आकार बनाने के लिए पोषणः एमएसएमई प्रगति के लिए नीतियों को नये सिरे से तैयार करना-
समीक्षा में एमएसएमई को अधिक लाभ अर्जित करने, रोजगार जुटाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकास योग बनाने पर ध्यान दिया गया है.
दस साल पुरानी होने के बावजूद सौ कामगारों से कम कार्य बल वाली बौनी यानी छोटी फर्मो की संख्या विनिर्माण में लगी सभी संगठित फर्मों में पचास प्रतिशत से अधिक है.
छोटी फर्मो का रोजगार में केवल 14 प्रतिशत और उत्पादकता में आठ प्रतिशत योगदान है.
सौ से अधिक कर्मचारियों वाली बड़ी फर्मो का संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी 15 प्रतिशत होने के बावजूद रोजगार में 75 प्रतिशत और उत्पादकता में 90 प्रतिशत योगदान है.
एमएसएमई को बंधक मुक्त करना और उन्हें निम्नलिखित तरीकों से समर्थ बनाना.
सभी आकार आधारित प्रोत्साहन के लिए आवश्यक तालमेल के साथ दस वर्षों से कम समय के लिए समापन क्लोज.
जैसा कि राजस्थान में हुआ है अधिक रोजगार सृजन के लिये इन इकाईयों के लिए श्रम कानून प्रतिबंधों को विनियमित करना.
अधिक रोजगार सृजन क्षेत्रों में युवा फर्मो के लिए सीधे क्रेडिट प्रवाह हेतु. प्राथमिकता क्षेत्र ऋण दिशा-निर्देशों को पुन तैयार करना.
समीक्षा में होटल, खानपान, परिवहन, रीयल इस्टेट, मनोरंजन तथा रोजगार सृजन के लिए अधिक ध्यान देते हुए पर्यटन जैसे सेवा क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है.