आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान का अर्थ स्पष्ट कीजिए. tum kab jaoge atithee
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आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान का अर्थ स्पष्ट कीजिए|
पाठ-तुम कब जाओगे अतिथि पाठ लेखक-शरद जोशी द्वारा लिखा गया है| ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ कहानी के माध्यम से लेखक समझाना चाहते है कि अतिथि यदि चार दिन ज्यादा किसी के घर रुक जाए तो वह अतिथि नहीं रहता है| ऐसे अतिथि से नफरत होने लगती है|
उत्तर : आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान का अर्थ यह है लेखक की आर्थिक स्थिति से है जो अब खराब हो चुकी है| लेखक का सारा बजट खराब हो गया है| लेखक अब अथिति के खर्चे नहीं उठा सकता अब| अतिथि तुम मेरे घर में चार दिन के लिए आए थे , तुम्हें मेरी आर्थिक स्थिति दिखाई नहीं दे रही है| इस्त्ने दिन रुकने से मेरे घर का सारा बजट खराब हो गया है|
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"तुम कब जाओगे, अतिथि" व्यंग्यात्मक पाठ के माध्यम से लेखक क्या शिक्षा देना चाहते हे?
Answer:
इस कथन का आशय है कि तुम जान चुके हो कि मेरी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि मैं तुम्हें और तुम्हारे खर्चे को वहन कर सकूँ। अर्थात तुमने मेरे घर रहकर मेरी स्थिति को भाँप लिया होगा, इससे तुम्हें समझ जाना चाहिए कि तुम्हें अब जाना चाहिए।