आर्य समाज के पहला नियम की व्याख्या लिखें
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1) दयानन्द ने स्वयं को आर्य समाज की एक मार्गदर्शक ज्योति के रूप में प्रस्तुत किया। वह स्वयं को कोई नेता अथवा गुरू नहीं मानते थे, जिसका लोग अनुसरण करें। अ) प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करना चाहिए।
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दयानन्द ने स्वयं को आर्य समाज की एक मार्गदर्शक ज्योति के रूप में प्रस्तुत किया। वह स्वयं को कोई नेता अथवा गुरू नहीं मानते थे, जिसका लोग अनुसरण करें। अ) प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करना चाहिए।
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