आर्य समाज का वैधानिक मन्तव्य बताइये
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आर्यसमाज का मूल मन्तव्य वस्तुत: कर्मफल व्यवस्था ही है। इसका स्पष्ट और सुनिश्चित रूप ही आर्यसमाज को दूसरों से अलग करता है। जैसे कि कर्मफल से बचने के लिए आज अनेकों ने अनेक ढंग अर्थात् इष्टदेव का दर्शन-पूजन, नामस्मरण, तीर्थयात्रा, स्नान समझ लिये गये हैं। आज का धर्म इसी प्रकार के कर्मकाण्डों का रूप ही बनकर रह गया है।
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arya samaj ka vadhnik mantavya karm ke fal ki vyavastha hai
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