Hindi, asked by dakista956, 8 months ago

आर्यसमाज का वैधानिक मनतवय क्या है।

Answers

Answered by amarpriya3006
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Answer:आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आन्दोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने १८७५ में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानन्द की प्रेरणा से की थी।[1] यह आंदोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू धर्म में सुधार के लिए प्रारम्भ हुआ था। आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकाण्ड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया था। स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो।

आर्य समाज

Arya Samaj 2000 stamp of India.jpg

सन २००० में आर्यसमाज को समर्पित एक डाकटिकट

सिद्धांत

"कृण्वन्तो विश्वमार्यम्"

विश्व को आर्य (श्रेष्ठ) बनाते चलो।

स्थापना

10 अप्रैल 1875; 145 वर्ष पहले

मुम्बई)

संस्थापक

दयानन्द सरस्वती

प्रकार

धार्मिक संगठन

वैधानिक स्थिति

न्यास (Foundation)

उद्देश्य

शैक्षिक, धार्मिक शिक्षा, अध्यात्म, समाज सुधर

मुख्यालय

नई दिल्ली

निर्देशांक

26°27′00″N 74°38′24″E / 26.4499°N 74.6399°E

सेवाकृत क्षेत्र

सम्पूर्ण विश्व में

आधिकारिक भाषा

हिन्दी

मुख्य अंग

श्रीमती परोपकारिणी सभा

सम्बन्धन

भारतीय

जालस्थल

प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, स्वामी अछूतानन्द, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, बाबा रामदेव[तथ्य वांछित] आदि आते हैं।

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