आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से आप क्या समझते हैं
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भारत के लोकसभा सीटों की कुल संख्या में कुछ सीटें अनुसूचित जाति और कुछ सीटें अनुसूचित जनजाति की लिए आरक्षित की गई हैं। इन सीटों पर केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग ही चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसी सीटों वाले क्षेत्रों को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।
यह आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग होते हैं। भारत की कुल 545 लोकसभा सीट में से 79 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और 41 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचन क्षेत्रों के लिए यह संख्या राज्यों के हिसाब से अलग-अलग है।
प्रश्न : आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र किसे कहते है ?
उत्तर : देश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सुनिश्चित कर दी जाती है | जिससे केवल इसी जाति के लोग चुनाव लड़ सकते है | ऐसे सुनिश्चित निर्वाचन क्षेत्रों को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं |
प्रश्न : चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर : चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था के निम्न उदेश्य हैं -
(i) समाज के कमजोर एवं वंचित समूहों को सामाजिक न्याय देने के लिए |
(ii) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को राजनितिक भागीदारी बढ़ाने के लिए |
(iii) संसद या विधानसभाओं में इनके प्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाने के लिए |
(iv) लोकतंत्र में सभी को बराबर हिस्सेदार बनाने के लिए |
(v) चुनावों में महिलाओं के लिए भी सीटें आरक्षित की जाती है ताकि महिलाएँ अपने राजनितिक और सामाजिक स्थिति में बदलाव ला सके |
संविधान में अनुच्छेद 324 से लेकर 329 तक भारतीय निर्वाचन प्रणाली की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी है।
अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण: संविधान में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोक सभा में सीटें आरक्षित की गयीं हैं। 95वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा लोक सभा में अनुसूचित जाति व जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण की अवधि को पुनः बढ़ाकर 2020 तक कर दिया गया है।
संविधान में पृथक निर्वाचकमण्डल की व्यवस्था नहीं है, इसका तात्पर्य है क़ि सामान्य मतदाता भी अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रोंके मतदान में भाग ले सकता है।इसके साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय का कोई भी सदस्य सामान्य निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है।
87वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के अनुसार राज्य सभा व लोक सभा में अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण 2001 की जनगणना के आधार पर होगी।
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भारत के लोकतंत्र सिटी को कुल संख्या में कुछ देश अनुसूचित जाति और कुछ सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई है इन सीटों पर केवल सूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग चुनाव लड़ सकते हैं ऐसी सीटें वाले क्षेत्र को आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं