Hindi, asked by bansilakhesar, 6 months ago


आरक्षण एक राजनीतिक हथियार निबंध​

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Answered by Anonymous
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संविधान निर्माताओं जिस आरक्षण को मात्र 10 वर्ष में ‘सामाजिक न्याय’ प्राप्त करने के एक अपरिहार्य साधन के रूप में कल्पित किया था वही पिछले छह दशक से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों की तथा पिछले तीन दशकों से ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ की ‘वोट बैंक राजनीति’ का आधार बनता हुआ अब विधानसभाओं एवं लोकसभा के चुनावों में जातिगत भेदभाव वैमनस्य टकराहट और सामाजिक विखंडन का बवंडर बन चुका है। भविष्य में सीमित होती नौकरियों तथा असीमित रूप से बढ़ रही बेरोज़गारी के बीच चल रहे घमासान में ‘आरक्षण’ डूबते को तिनके का सहारा नज़र आ रहा है इसीलिए वर्तमान राजनीति ने इसे हवा देकर बिना आरक्षण के दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाए ‘अगड़ों’ को भी आरक्षण का लाभ देने का लालच देकर तथा आरक्षित वर्ग में ‘क्रीमी लेअर’ न अपनाकर (अजा एवं अजजा) या बहुत ऊँची अपनाकर (अपिव) सामाजिक न्याय के दर्शन और आरक्षण की अवधारणा को ही ध्वस्त कर दिया है। अत: भारतीय समाज के सामने अब चुनौती ‘सामाजिक न्याय के आधार पर सामाजिक समता स्थापित करने की कम और सामाजिक विखंडन से बचकर सामाजिक सामंजस्य प्राप्त करने की अधिक हो गई है।

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