Hindi, asked by kunalsachdev06, 6 months ago

आरक्षण समाज की प्रगति में सहायक या बाधक अपने विचार प्रकट करें

Answers

Answered by Aasif3436
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Explanation:

देश में विभिन्न जातियों के द्वारा स्वयं को पिछड़ा और वंचित साबित करने की एक होड़ सी मची हुई है। जैसे-जैसे आम चुनावों का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे विभिन्न जातियों/समूहों के द्वारा स्वयं को आरक्षित (पिछड़ा) वर्ग में शामिल करने की मांग लगातार तेज होती जा रही है। हरियाणा में जाट आंदोलन, राजस्थान में गुर्जर आंदोलन, गुजरात में पाटीदार आंदोलन और महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन इसका मजमून हैं। उधर, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर वर्ष 2006 में एम. नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण पहले से उलझे मुद्दे का सरकार कुछ समाधान निकालती उससे पहले ही सूची में शामिल जातियां/जनजातियां इसे लेकर खासी मुखर हो गई हैं। अंततः सुप्रीम कोर्ट को इसकी समीक्षा के लिए संविधान पीठ का गठन करना पड़ा जिसने अब इसकी सुनवाई शुरू कर दी है।

ध्यान रहे कि 2006 में नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने प्रोन्नति में आरक्षण देने से साफ़ मना कर दिया था पर कहा था कि राज्य इसके लिए प्रावधान कर सकते हैं। हालांकि ऐसा करने से पहले उनको इस समूह के बारे में मात्रात्मक आंकड़े जुटाने होंगे ताकि यह साबित किया जा सके कि यह समूह पिछड़ा है और सरकारी रोज़गार में उसका प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है। राज्य को यह भी बताना होगा कि अगर वह इस तरह का आरक्षण देता है तो इसका प्राशासनिक सक्षमता पर क्या असर पड़ेगा।

खैर, ये तो बात रही कि पिछड़े वर्ग की सूची में कौन-कौन सी नई जातियां शामिल होना चाहती हैं और जिन जातियों-जनजातियों को अनुसूचित किया गया है वो प्रोन्नति में आरक्षण चाहती हैं। लेकिन क्या नई जातियों/समूहों के द्वारा पिछड़े वर्ग में शामिल होने की मांग और अनुसूचित जातियों-जनजातियों के द्वारा प्रोन्नति में आरक्षण की मांग समाज के लिए एक नई समस्या है अथवा किसी समस्या का समाधान? इसे जानने के लिए इस मुद्दे पर एक विस्तृत और तटस्थ विवेचना का होना अत्यंत आवश्यक है। आजादी.मी के लिए इस मुद्दे की विवेचना करने का काम कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत नारंग..

पुराने जमाने में मार्ग से गुजरने का पहला अधिकार ऊंची जाति के लोगों को होता था। नीची जाति के लोग तभी निकल सकते थे जब ऊंची जाति के लोग पहले वहां से गुजर चुके हों। यानि कि यदि दो लोगों को रास्ते से गुजरना हो तो रास्ते से गुजरने का पहला अधिकार ऊंची जाति के व्यक्ति का था उसके बाद ही नीची जाति का व्यक्ति वहां से निकल सकता था। आज के

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