Hindi, asked by shivam6498, 1 year ago

Aarakshan ek samasya

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Answered by musku425
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भारत में आरक्षण की समस्या बहुत बड़ी है जिसमे कई सामान्य वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है| ऐसा लगता हैं आरक्षण की वजह से देश के अन्य जाती प्रमुख लोग पिछड़ रहे हैं| हमारे भारत के लोगों को आगे बढ़ना चाहिए परन्तु यहाँ तो पिछड़ने के लिए लोग लाइन लगाए खड़े मिलते हैं| इस आरक्षण के विरोध में आप आरक्षण विरोधी स्टेटस व आरक्षण विरोधी शायरी भी देख सकते हैं |

उच्चतम न्यायालया ने पूछा है कि क्या आरक्षण को अनंतकाल तक जारी रखा जा सकता है अतवा उसकी कोई समय सीमा है? हम सब जानते है कि संविधान निर्माताऔं ने पिछड़ों को अगड़ों के समकक्ष लाने के लिए दस वर्ष तक आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसे दस-दस वर्ष तक बढ़ाने के बाद अब उसे अनंत कल तक बनाए रखने की व्यवस्था चल रही है ।
जो आरक्षण प्रारम्भ में संरक्षण की भावना से प्रदान किया गया था, वह अब अधिकार समझा जाने लगा है । इस समझ के कारण कि आरक्षण एक स्थायी व्यवस्था है, उसकी परिधि में शामिल होने का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है । ऐसे में, न्यायालय के सवाल को एक महत्त्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए ।
आरक्षण के विरोधियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करते हुए उनके वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मंडल आयोग की संस्कृति के अनुरूप 1992 में न्यायालय को अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, जिसमें कहा गया था कि पिछड़ेपन के लिए जाति को आधार माना जाये । न्यायालय ने उन्हें टोकते हुए कहा कि यह विचार तथ्यात्मक नहीं है ।
न्यायालय के फैसले को उचित ठहराते हुए न्यायाधीश ने मुकुल रोहतगी की बात को सुधारा । न्यायाधीश ने कहा कि उस फैसले में पिछड़ेपन के लिए जाति को एकमात्र आधार नहीं, बल्कि एक आधार के रूप में स्वीकार किया गया था ।
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