History, asked by lalanchandravanshi72, 3 months ago

आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात् ।
दिनस्य पूर्वार्द्ध परार्द्ध भिन्ना छायैव मैत्री खलसज्जनानाम् ।।1।। explain in Hindi​

Answers

Answered by rajp53861
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Answer:

दुर्जन की मित्रता शुरुआत में बड़ी और क्रमशः कम होने वाली होती है। सज्जन की मित्रता पहले कम और बाद में बढ़ने वाली होती है। इस प्रकार से दिन के पूर्वार्ध और परार्ध में अलग अलग दिखने वाली छाया के जैसी दुर्जन और सज्जनों की मित्रता होती है।

Answered by vinodpandaye636
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Explanation:

what is this???????????????

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