aarthik vishamta Ka baccho par prabhav.. Vishai par apne wichar likho...
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1980 से, खासकर चीन के पूंजीवादी रास्ते पर चले जाने और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से,
, जोर-शोर से समझाया जा रहा था कि उच्च विकास दर ही गरीबी, बेरोजगारी जैसी सभी समस्याओं का एक मात्र हल है। पूरी दुनिया में मतैक्य था कि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियाँ ही तेज विकास की कुंजी हैं।
लेकिन गैरबराबरी पर जो वर्तमान चर्चा शुरू है, उसके केन्द्र में पिछले कुछ समय से जारी विकास नीतियाँ और उसके परिणाम हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार ये नीतियाँ ही न केवल बढ़ती गैरबराबरी के लिए जिम्मेदार हैं, बल्कि इन्ही नीतियों की उपज 2007-08 का वित्तीय संकट भी था।
ऑक्सफैम की 2015 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आज की दुनिया के 62 परिवारों के पास कुल आबादी के 50 फीसदी जितनी सम्पत्ति है। इन 62 परिवारों की सम्पत्ति दुनिया के 350 करोड़ आबादी की सम्पत्ति के बराबर है।
i hope help you❤❤❤
, जोर-शोर से समझाया जा रहा था कि उच्च विकास दर ही गरीबी, बेरोजगारी जैसी सभी समस्याओं का एक मात्र हल है। पूरी दुनिया में मतैक्य था कि उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियाँ ही तेज विकास की कुंजी हैं।
लेकिन गैरबराबरी पर जो वर्तमान चर्चा शुरू है, उसके केन्द्र में पिछले कुछ समय से जारी विकास नीतियाँ और उसके परिणाम हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार ये नीतियाँ ही न केवल बढ़ती गैरबराबरी के लिए जिम्मेदार हैं, बल्कि इन्ही नीतियों की उपज 2007-08 का वित्तीय संकट भी था।
ऑक्सफैम की 2015 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आज की दुनिया के 62 परिवारों के पास कुल आबादी के 50 फीसदी जितनी सम्पत्ति है। इन 62 परिवारों की सम्पत्ति दुनिया के 350 करोड़ आबादी की सम्पत्ति के बराबर है।
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mahendrabagde6846:
Thanxx
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आर्थिक विषमता उस स्थिति को कहते हैं जब किसी व्यक्ति के की आए एक अर्थव्यवस्था में मौजूद वस्तुओं को खरीदने में सहायक नहीं हो पाती अर्थात एक व्यक्ति की आय का बहुत अधिक कम होना। आर्थिक विषमता का बच्चों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकता है:
1. बच्चों को अच्छी शिक्षा ना मिल पाना
2. बच्चों को अच्छा पोषण ना मिल पान।
3. बच्चों, को अच्छे इलाज ना मिल पाना
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