World Languages, asked by rajawatsonu1983, 5 months ago

आसाम की वेशभूषा व उत्सव (max 100 to 150 words) in hindi​

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Answered by sunitaarya0100
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संसार में बहुत सारी संस्कृतियां और जीवन जीने के तरीके देखने को मिलते हैं। कौन किस तरह की संस्कृति से ताल्लुक रखता है, यह जानने के लिए किसी भी व्यक्ति की वेश-भूषा और पहनावा ही काफी है। अलग-अलग ढंग के परिधान हमारे यहां अलग-अलग समुदायों के प्रतीक हैं।

यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र (संयुक्त राष्ट्र) ने मानव जाति को अपनी जड़ें और संस्कृति को याद दिलाने के लिए एक दिन समर्पित किया है- 19 जून। 19 जून को हर साल विश्व भर में ‘वर्ल्ड एथनिक डे’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के लिए आप किसी भी चीज़ से शुरुआत कर सकते हैं। चाहे तो आप पारम्परिक कपड़ें पहन सकते हैं या फिर पारम्परिक पकवान बनाकर भी इस दिन का जश्न मना सकते हैं।

बाकि भारत में इस दिन को मनाने की बात ही अलग है। अरे जनाब, जिस देश के लिए बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि यहां हर 3 किलोमीटर के बाद लोगों की बोली और पानी का स्वाद दोनों बदल जाते हैं, सोचिये वहां आपको कितनी तरह की वेश-भूषा देखने को मिलेगी। यहां पर कपड़े न केवल राज्य स्तर पर बल्कि एक ही राज्य में धार्मिक, जातीय, व सामुदायिक स्तर पर भी अलग-अलग होते हैं।

तो चलिए, आज हम बात करते हैं विभिन्न भारतीय संस्कृतियों के प्रतीक परिधानों की।

फ़ेरन

फोटो: कश्मीर लाइफ

कश्मीरी पुरुषों और महिलाओं द्वारा पहने पारंपरिक कश्मीरी पोशाक को फ़ेरन और पुट कहते हैं। फ़ेरन ऊन का बना हुआ एक लम्बा कोट होता है। इसकी लोकप्रियता आज भी बरकरार है।

फेरन या फ़्यारन को मूल रूप से कश्मीर के ठंडी सर्दियों से बचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी जड़ें मुगल काल से जुडी हैं। उस समय के शाही घरानों में इस लम्बे परिधान का चलन था। इन पर ज़री का महीन काम होता है। फ़ेरन कश्मीर में मुस्लिम व हिन्दू, दोनों समुदाय की औरतों के द्वारा पहना जाता है। हालाँकि, दोनों समुदायों में इसके पहनाव का तरीका अलग-अलग

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