आस्तिक मनुष्य कैसे होते हैं
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समाधान- सामान्य रूप से हम आस्तिकता की यह परिभाषा समझते हैं की मनुष्य का अपने से किसी उच्च अदृष्ट शक्ति पर विश्वास रखना आस्तिकता कहलाता हैं अर्थात एक ऐसी शक्ति जो मनुष्य से अधिक शक्तिशाली हैं, समर्थ हैं उसमें विश्वास रखना आस्तिकता कहलाता हैं।
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अब उसके पास दो ही विकल्प होते हैं कि या तो अनुतरित रहा जाए या फिर इस खाली और शुष्क नास्तिकता से ऊपर देखा जाए । जो दृढ निश्चयी होते हैं वे इस नास्तिकता को भी त्याग देते है और अगली मंजिल की ओर बढ लेते हैं और अंततः सत्यता को पा लेते हैं । यह अवस्था पूर्ण आस्तिकता की अवस्था है । यही व्यक्ति सही मायनों में आस्तिक होता है
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