History, asked by kowlinyajaandeka, 9 months ago

आस्था थी जो हमारे लोगों को अनगिनत पीढ़ियों से भारत की इस प्रसिद्ध
नदी की ओर खींचती रही है।
मेरे अध्ययन की पृष्ठभूमि के साथ इन यात्राओं और दौरों ने मिलकर मुझे
अतीत में देखने की अंतर्दृष्टि दी। मेरे मन में भारत की जो तसवीर थी उसमें
धीरे-धीरे सच्चाई का बोध घर करने लगा। मेरे पूर्वजों की भूमि में ऐसे जीते
जागते लोग आबाद हो गए जो हँसते-रोते थे, प्यार करते थे और पीड़ा भोगते
थे। इन्हीं में ऐसे लोग भी थे जिन्हें जिंदगी की जानकारी और समझ थी। इस
अतीत के सैकड़ों सजीव चित्र मेरे मन में भरे थे। जब भी किसी जगह जाता
था, उस विशेष स्थान से संबद्ध चित्र तत्काल मेरे सामने आ खड़ा होता था।
बनारस के पास सारनाथ में मैंने
बुद्ध को उनका पहला उपदेश देते हुए लगभग
साफ़ देखा। ढाई हज़ार वर्ष का फ़ासला तय करके उनके कुछ अभिलिखित
शब्द जैसे दूर से आती प्रतिध्वनि की तरह मुझे सुनाई पड़े। अशोक के पाषाण
स्तंभ जैसे अपने शिलालेखों के माध्यम से मुझे एक ऐसे आदमी के बारे में
बताते थे, जो खुद एक सम्राट होकर भी किसी अन्य राजा और सम्राट से महान
था। फ़तेहपुर सीकरी में, अपने साम्राज्य को भुलाकर बैठा अकबर विभिन्न मतों
के विद्वानों से संवाद और वाद-विवाद कर रहा था। वह जिज्ञासु भाव से मनुष्य
की शाश्वत समस्याओं का हल तलाश कर रहा था।
इस तरह भारत के इतिहास की लंबी झाँकी अपने उतार-चढ़ावों के
और विजय-पराजयों के साथ जैसे धीरे-धीरे मेरे सामने खुलती जा रही थी।
मुझे इतिहास के पाँच हजार वर्षों से चली आ रही इस सांस्कृतिक परंपरा की
निरंतरता में कुछ विलक्षणता प्रतीत होती है। यह परंपरा जो दूर-दूर तक
जनता में फैली थी और जिसने उस पर गहरा प्रभाव डाला था।
भारत की शक्ति और सीमा
भारत की शक्ति के स्रोतों और उसके पतन और नाश के कारणों की खोज
लंबी और उलझी हुई है। पर उसके पतन के हाल के कारण पर्याप्त स्पष्ट
हैं। भारत तकनीक की दौड़ में पिछड़ गया और यूरोप जो तमाम बातों में एक
ज़माने से पिछड़ा हुआ था, तकनीकी प्रगति के मामले में आगे निकल गया।​

Answers

Answered by seemakumari22082008
0

Answer:

what do you want

Explanation:

what what do you want what is your question

Similar questions