Hindi, asked by suryamps1391, 1 year ago

आसफलता ही सफ़लता का आधार है इस पर 300 शब्दों का निबंध

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Answered by vishu592
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Answer:

बंधुओं संसार के दो मार्ग है…. एक में जीत है तो दूसरे में हार, एक में खुशी है तो दूसरे में दुख। ऐसे ही जीवन भी दो बातों पर आधारित है, सफलता और असफलता… यदि आप किसी सफल इंसान की सफलता का राज देखें तो आप उसके इतिहास को उठाकर देख लें इतिहास गवाह होगा की वह व्यक्ति सफल होने के लिए कई बार असफलता की राहों से गुजरा होगा।

जबतक असफलता के कांटे पैरों में नहीं चुभते तबतक सफलता के फूल खिल ही नहीं सकते । इसलिए व्यक्ति असफल होने पर नहीं हारता; हारता तो तब है जब वह सफलता को प्राप्त करने के लिए प्रयास बन कर देता है।

अधिकांश लोग असफल होने पर स्वयम को निराशावादी बना लेते हैं; लेकिन जो व्यक्ति अंधरे पथ में भी स्वयं दीपक बन कर अपनी राह तराश लेता है, वास्तव में वही इंसान सफल और कर्मठ है।

असफल व्यक्ति एक-दो बार असफल होने पर अपने दृष्टिकोण को निराशावादी बना देता है। हर आशा में केवल उसको निराशा ही नजर आती है।

लेकिन आशावादी व्यक्ति हर निराशा के अंदर भी कोई-न-कोई आशा ढूंढ ही लेता है, क्योंकि उसका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है।

जैसे उदारण के तोर पर यदि हमारे सामने शीशे का गिलास रखा हुआ हो; और वह आधा पानी से भरा हो; जो निराशावादी दृष्टिकोण वाले होंगे वह यह कहेगा की इसमें तो पानी आधा ही भरा हुआ है। कुछ कहेंगे की पानी कम है न ज्यादा है। लेकिन जो आशावादी दृष्टिकोण वाले होंगे वह यही कहेगा की यह गिलास पूरा भरा हुआ है, आधा पानी से और आधा हवा से।

जो व्यक्ति निराशा में भी आशा की किरण देखता हो; वही प्रगति पथ पर चलने का अधिकारी है,  यह संसार कायरों द्वारा नहीं भोगा जाता, अपितु वीरों द्वारा ही भोगा जाता है।

999 बार भी यदि समुन्द्र में डुबकी मारने पर भी यदि मोती न मिले तो घबराना नहीं, 1000 वीं बार प्रयास जरूर करना क्या पता आपके भाग्य में लिखा हो की आपको 1000वी डुबकी में ही मोती मिलेगा।

जीवन में सफलता घबराकर, डरकर, भागकर, किसी दूसरे द्वारा नहीं पाई जाती; सफलता तो आपके मजबूत इरादों, आपके साहस, और ईश्वर पर भरोसा और अपने आप पर विश्वास करके ही पाई जाती है।

यदि संसार में रहते हुए सफलता प्राप्त करनी है तो छोटा दिल बनाकर नहीं, अपितु बड़ा जिगर आप के पास होना चाहिए।

मैं अक्सर कहा करता हूँ की “इस संसार में सफलता उसने ही पाई है; जिसने ठोकर खाई है’।

इसलिए अपने मन में वो विश्वास, हर्द्य में वो साहस, शरीर में वो स्फूर्ति और कदमों में ऐसी ताकत लेकर चलना की यदी तूफान भी हमको बुझाने के लिए आ जाए तो हम ऐसी आग बनकर बड़े की आने वाले प्रत्येक निराशावादी विचरों को जलाकर राख़ कर दें। 

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