Aasam ki ek lokkhatha likhiye
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तेजीमोला : असम की लोक कथा |
एक गाँव में बसंत नामक व्यक्ति अपनी एकलौती पुत्री तेजीमोला के साथ रहता था. उसकी पत्नी का देहांत हो चुका था. एक दिन वह एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने गया. वहाँ वह एक स्त्री पर मोहित हो गया और उसे उसी विवाह मंडप में उससे विवाह कर लिया.
उस स्त्री का नाम मिनती था. बसंत मिनती को अपने घर ले आया और उसे अपनी पुत्री तेजीमोला से मिलवाया. तेजीमोला को देख मिनती मन ही मन बहुत चिढ़ी. किंतु पति के सम्मुख उस पर लाड़ दिखाने लगी, उसे गले से लगा लिया. बसंत को लगा कि मिनती उसकी पुत्री को सगी माँ जैसा प्रेम करेगी. वह उसके दिखावे को समझ नहीं पाया. उसके वहाँ से जाते ही मिनती ने तेजीमोला को दूर झटक दिया.
तेजीमोला समझ गई कि उसे माँ का प्रेम कभी नहीं मिलेगा और ऐसा ही हुआ. मिनती बसंत के सामने उससे प्रेम जताती और उसके जाते ही अपना असली रूप दिखाते हुए उससे बुरा व्यवहार करती. इसी तरह दिन बीतते रहे.
एक दिन मिनती को धान की कोठरी के पास एक काला नाग दिखाई पड़ा और उसने मन ही मन तेजीमोला को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. उस दिन उसने पूरे समय तेजीमोला को धान की कोठरी के दरवाज़े पर बिठाकर रखा, ताकि काला नाग उसे डस ले. किंतु, सौभाग्य से काला नाग निकला ही नहीं. मिनती का यह दांव व्यर्थ रहा.तेजीमोला के पिता बसंत व्यवसाय के सिलसिले में देश-परदेश की यात्रा किया करता था. इस कारण उसे महिनों घर से दूर रहना पड़ता था. बसंत के घर पर न होने पर तेजीमोला के प्रति मिनती का व्यवहार और बुरा हो जाता. सौतेली माँ के बुरे व्यवहार से दुखी मिनती घर के बाहर लगे एक रंग-बिरंगे पत्तियों वाले वृक्ष के नीचे बैठकर रोती रहती.
एक दिन गाँव के एक युवक उस वृक्ष के नीचे बैठी तेजीमाला को देखा. वह धनी व्यापारी का एकलौता पुत्र था. तेजीमोला को देखते ही उसे उससे प्रेम हो गया. वह तेजीमोला के पास गया और उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. तेजीमोला कुछ कह पाती, उसके पहले ही मिनती वहाँ आ गई और तेजीमोला को घर के अंदर काम करने भेज युवक को वहाँ से भगा दिया.
उस दिन के बाद से मिनती यह सोच-सोचकर परेशान रहने लगी कि अगर तेजीमोला का विवाह हुआ, तो उन्हें ढेर सारा दहेज़ देना पड़ेगा और घर की सारी जमा-पूंजी उसके विवाह में खर्च हो जाएगी. वह धन बचाने के लिए तेजीमोला को मारने की योजना बनाने लगी.
रात को तेजीमोला के भोजन में उसने विषैला कीड़ा डाल दिया. तेजीमोला ने भोजन कर लिया, किंतु उसकी मृत्यु नहीं हुई. उसे सही-सलामत देख, मिनती आग-बबूला हो गई और उसे मारने की दूसरी योजना सोचने लगी.
अगले दिन वह ढेंकी में धान कूटने लगी और तेजीमोला को ढेंकी में धान डालने के काम में लगा दिया. तेजीमोला ने जैसे ही ढेंकी में धान डाला, मिनती ने मूसल के वार से उसका हाथ कुचल दिया. तेजीमाला दर्द से कराह उठी.
उसे दर्द से तड़पता देख मिनती हँसी और बोली, “इतनी चोट से क्यों रोती है? यह तो कुछ भी नहीं. चल दूसरे हाथ में धान डाल.”
तेजीमोला दूसरे हाथ से धान डालने लगी, तो मिनती ने उसका दूसरा हाथ बहे कुचल दिया. फिर वह तेजीमोला से बोली, “देख तो, ढेंकी में कुछ गिरा हुआ है.”
तेजीमोला ढेंकी के अंदर झुकी, तो मिनती ने मूसल से उसका सिर कुचल दिया. तेजीमोला का सिर लहुलुहान हो गया. बहुत देर तक वह तड़पती रही और मिनती उसकी हालत देख हँसती रही. जब तेजीमोला मर गई, तो मिनती ने उसे बगीचे में गाड़ दिया और उस स्थान पर मिर्ची का पौधा लगा दिया.
कुछ दिनों में मिर्ची का वह पौधे बड़ा हो गया और उसमें मिर्ची फलने लगी. एक दिन एक राहगीर की दृष्टि उस पौधे पर फली हरी-हरी मिर्चियों पर पड़ी, तो वह उन्हें तोड़ने लगा. तभी उसमें से आवाज़ आई –
“मिनती माँ ने दुश्मनी निभाई, तेजीमोला ने जान गंवाई.”
मिनती के कानों में भी यह आवाज़ पड़ गई. वह डर गई और तुरंत बाहर आकर उसने मिर्ची का पौधे उखाड़कर फेंक दिया. जिस स्थान पर उसने पौधा फेंका, वहाँ कद्दू की बेल उग आई. उस बेल से भी यही आवाज़ आती थी –
“मिनती माँ ने दुश्मनी निभाई, तेजीमोला ने जान गंवाई.”
मिनती ने पकड़े जाने के डर से वह पौधा भी उखाड़ दिया और उसे नदी में फेंक दिया. नदी में उस पौधे ने कमल के फूल का रूप ले लिया. उसी दिन तेजीमोला का पिता बसंत नाव से गाँव लौट रहा था. उसकी दृष्टि नदी में खिले कमल के फूल पर पड़ी, तो उसे अपनी पुत्री तेजीमोला की याद आ गई. उसने सोचा – ‘क्यों न मैं ये कमल तेजीमोला के लिए ले जाऊं. वह इसे देखकर बहुत ख़ुश होगी.’
उसने कमल को तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, तो उसमें से आवाज़ आई –
“मिनती माँ ने दुश्मनी निभाई, तेजीमोला ने जान गंवाई.”
यह सुनकर बसंत सन्न रह गया. अनहोनी आशंका ने उसे घेर लिया. उसने कमल का फूल तोड़कर अपने पास रख लिया और उसे लेकर घर पहुँचा. घर पहुँचते ही उसने मिनती से तेजीमोला के बारे में पूछा. मिनती ने उससे झूठ कह दिया, “उसे मैंने अपनी माँ के घर भेजा है.”
बसंत क्रोध से लाल हो उठा. उसने हाथ में पकड़े कमल के फूल से कहा –
“मुझे सारा हाल बता जा
तेजी, असली रूप में आ जा.
बसंत के इतना कहते ही तेजीमोला कमल के फूल में से बाहर निकल आई. उसने उसे मिनती की सारी कारस्तानी सुना दी. बसंत ने मिनती को ख़ूब धिक्कारा और घर से निकाल दिया.