आसमान का आसरा छोड प्यारे,
उलटि देख घट अपन की।
तुम आप में आप तहकीक करो,
तुम छोडो मन की कल्पना जी।
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ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात "आख़री" होगी !
ना ज़ाने कौनसी रात "आख़री" होगी !
मिलते, जुलते, बातें करते रहो यार एक दूसरे से !
ना जाने कौनसी "मुलाक़ात" आख़री होगी !!
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