Hindi, asked by xxsanshkiritixx, 1 month ago

आसमान से नीचे हमें क्या दिखता है अंतरिक्ष में हमें क्या दिखता है रेलगाड़ी के उस पार हमें क्या दिखता है

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Answered by Anonymous
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ठंड की फसल रबी है या खरीफ? दिमाग लगाइए, इनाम जीतिए

सुनीता विलियम्स ने एक इतिहास रचा है स्पेस में जाकर। यह इतिहास हमारे आज को तो प्रभावित कर ही रहा है, हमारे आने वाले कल पर भी इसका असर पड़ेगा। इंसान का वजूद अब सिर्फ धरती तक सीमित नहीं है। इस संदर्भ में भारतीय मूल की इस अंतरिक्ष यात्री की करनी ही नहीं, कथनी भी अहम है। अपने अनुभवों की बात करते हुए सुनीता ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण वाक्य कहा है, 'वहां ऊपर से मुझे धरती तो दिख रही थी, पर देशों की सीमाएं नहीं।' हालांकि यह बात दुनिया भर के चिंतकों ने बार-बार कही है कि ईश्वर ने तो यह पूरी दुनिया बनाई थी, लेकिन इंसान ने उसे सीमाओं में बांट दिया, लेकिन सुनीता का यह सीधा-सादा दिखने वाला वाक्य एक सत्य को व्यापक संदर्भों में सामने रख रहा है।

ऊपर से दुनिया दिख रही थी, देश नहीं, भारत या पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन और इराक नहीं। जरूरत इस सत्य को समझने की है। यह सत्य टुकड़ों में बंटे हमारे अस्तित्व को पूर्णता देता है और एक अर्थ भी। सवाल अपने ही बनाए घेरों से थोड़ा उबरने का है। थोड़ा बाहर निकलकर, निरपेक्ष होकर उसे भीतर को देखने का है जिसे हमने अपने स्वार्थों का संदर्भ देकर इतना संकुचित बना दिया है कि उसकी संभावनाओं का विस्तार हमारी समझ से परे हो गया है। हम अपनी दृषिट से भले ही खुद को हिमालय समझने लगे हों लेकिन जाति, धर्म, भाषा, राष्ट्रीयता आदि में बंटा हमारा अस्तित्व लगातार बौना होता जा रहा है। बातें तो हम वैश्वीकरण की कर रहे हैं, लेकिन हमारे सपने और सोच बंटे हुए हैं।

सुनीता की भारत यात्रा भले ही जड़ों से जुड़ने की किसी आकांक्षा का नतीजा हो, लेकिन भारत के लिए यह उन सपनों से जुड़ने का अवसर होना चाहिए जो सुनीता और उनके बाद की पीढ़ी देख रही है। जब हम सुनीता के करतब से प्रेरणा लेने की बात करते हैं, तो कहीं न कहीं यह बात भी उसमें शामिल होनी चाहिए कि सुनीता के सोच को समझने की कोशिश भी करें। इस यात्रा के दौरान इस अंतरिक्ष यात्री ने कहा है, 'अपने सपनों पर यकीन करो, क्योंकि वे सच होते हैं।' सपनों में यकीन रखने की यह बात और अंतरिक्ष से धरती पर खिंची लकीरें न दिखने वाली बात को गहराई से समझने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय संदर्भों को कुछ देर के लिए अनदेखा कर दें और अपने ही आसपास देखें, तब भी बहुत कुछ ऐसा है जो हमारी चिंता का विषय होना चाहिए।

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