आश्चर्य की बात है कि मनुष्य कभी अपने आप से यह प्रश्न नहीं करता कि उसे क्या चाहिए? सामान्य रूप से वह जानता है कि उसे अच्छा काम धंधा चाहिए, चाहिए सुख वैभव और विलास चाहिए लेकिन यह सब ऊपर ही बातें हैं. सब बातों के नीचे एक रहस्य और है – मनुष्य का परमात्मा से कटा होना. यह करना ही उसके सब दुखों का कारण है. इसी दुख की पूर्ति के लिए कभी वह रिश्ते नाते जोड़ता है, कभी सांसारिक सफलता पाकर खुश होता है. लेकिन सफलता का सुख भी उसे पूरी संतुष्टि नहीं दे पाता. गौतम बुद्ध को भी सांसारिक सुख पसंद नहीं कर पाए थे. तब उनके मन में प्रश्न उठा था कि आखिर मुझे संतोष कैसे मिलेगा. इस प्रश्न का उत्तर उन्हें बड़ी साधना से मिला. गौतम बुद्ध परमात्मा को नहीं मानते थे. उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि करुणा से मानव जीवन सुखी हो सकता है. करुणा करने वाला अपने लिए नहीं दीन दुखियों के लिए जीता है. इसी में उसे आनंद मिलता है. वास्तव में मानव का लक्ष्य यही आनंद पाना है.
प्रश्न 1. सामान्य तौर पर मनुष्य जीवन में क्या चाहता है?
अ. अच्छा काम धंधा,
ब. सुख वैभव
स. विलास के साधन
द. उपर्युक्त सभी
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द ) उपयुक्त सभी it, s answer
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bhai ye hi iska shi answer hai
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