आश्चर्य था कि इतने लंबे अर्स से उसके ओ को इतनी अच्छी तरह से जानने के बाव
कभी दिन में आकर मैंने उसे मारने की कोई कोशिश नहीं की थी
आदमी यथार्थ को जीला ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है।"
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