आश्रम का भेद पहचनीए. [answer me]
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यदि आप आश्रम शब्द का शब्द - भेद जानना चाहते हैं तो उत्तर निम्नानुसार होगा
आश्रम - एक योगरूढ़ शब्द है।
आश्रम = आ + श्रम
यह शब्द "श्रम का आयु के आधार पर विभाजन" को व्यक्त करता हैं।
रचना के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं।
1- रूढ़ शब्द (मूल शब्द ) - जो शब्द दीर्घकाल से किसी विशेष अर्थ के लिये प्रयोग होते आ रहे हैं तथा जिनका निर्माण किसी अन्य शब्द के संयोग से नहीं हुआ हैं। अर्थात् इनके खण्ड कभी सार्थक नहीं होते हैं। जैसे - कलम।
2- व्युत्पन्न शब्द - दो शब्दों अथवा शब्दांशों से बनें शब्द व्युत्पन्न शब्द कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं।
(अ) यौगिक शब्द - प्रत्यय, उपसर्ग या अन्य रूढ़ शब्दों के योग से बनें शब्द । जैसे -शिष्टता , उपकार आदि।
(ब) योगरूढ़ शब्द - जिन यौगिक शब्दों का अर्थ किसी अन्य अर्थ के लिये रूढ़ होता हैं यानि अन्य अर्थ की ओर संकेत करता हैं, ऐसे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
यदि आप आश्रम व्यवस्था के भेद (प्रकार) जानना चाहते हैं तो
प्राचीन भारतीय व्यवस्था के अनुसार आश्रम चार माने गए हैं
1- ब्रह्मचर्य आश्रम - जन्म से 25 वर्ष की अवस्था तक। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अध्ययन करना
2- गृहस्थ आश्रम - 25 से 50 वर्ष की अवस्था तक। विवाहित जीवन से सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन करना।
3- वानप्रस्थ आश्रम - 50 से 75 वर्ष की अवस्था तक। समाज सेवा के कार्य एंव लोक कल्याण के कार्य करना
4- संन्यास आश्रम - 75 से मृत्यु तक। मोक्ष प्राप्ति का प्रयास करना।