आश्रम में मकान और रसोईघर के अलावा और क्या होना चाहिए था
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आश्रम में मकान और रसोईघर के अलावा पुस्तकें रखने लायक पुस्तकालय ओर अलमारियां भी होनी चाहिए थी
Explanation:
- उपर्युक्त प्रश्न गांधी जी के द्वारा लिखे गए पाठ "आश्रम का अनुमानित व्यय" से लिया गया है।
- दक्षिण अफ़्रीका से लौटकर गांधी जी ने अहमदाबाद में जिस साबरमती आश्रम की स्थापना की थी , उसके जो प्रारंभिक सदस्य थे तथा वहाँ किस-किस सामान की आवश्यकता होती थी और साथ ही साथ अहमदाबाद में स्थापित आश्रम का संविधान भी गांधी जी ने खुद से ही तैयार किया था।
- इसी का विवरण इस पाठ में दिया गया है और साथ ही गांधी जी के दूर कि सोच-विचार का पता लगता है।
- गांधी जी द्वारा लिखे गए यह गद्य ‘आश्रम का अनुमानित व्यय’ से हमें यह सीख मिलती है कि यदि हम कोई भी कार्य करना चाहें तो सोच समझकर पहले ब्यौरा बना लेना चाहिए ताकि भविष्य के अनुमानित खर्च को भी सही रूप से जाना जा सके।
- इसलिए हम भविष्य के खर्चों के लिए तैयार रह सकते हैं और उसी के अनुसार तैयारी कर सकते हैं। जो हमें सभी अप्रत्याशित, अनिश्चित परिस्थितियों से छुटकारा पाने में मदद करेगा।
- अहमदाबाद में स्थापित आश्रम का संविधान गांधी जी ने खुद से ही तैयार किया था। आश्रम के सामान के अनुमानित खर्च की गणना करते समय उन्हें लगा कि आगंतुकों के ठहरने के लिए कमरों और रसोईघर के अलावा के अलावा तीन हजार किताबें रखने लायक पुस्तकालय ओर अलमारियां भी होनी चाहिए थी।
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