आश्रम व्यवस्था का अर्थ एवं समाजशास्त्री महत्व भारतीय समाज
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ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास ये चार आश्रम कहलाते हैं। श्रम से जीवन को सफल बनाने के कारण आश्रम कहा जाता है। धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष इन चार पदार्थों की प्राप्ति के लिए इनचार आश्रमों का सेवन करना सब मनुष्यों को उचित है।
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