Hindi, asked by adhanwe, 2 days ago

आशे तुम्हारे की भरोसे जी रहे है हम सभी
पध्धांश की संदर्भ व्याख्या कीजिये

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Answered by irshadmansuri113
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आशे तुम्हारे की भरोसे जी रहे हे हम सभी

Answered by roopa2000
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Answer:

`भारत-भारती’ मैथिलीशरण गुप्त की सबसे ज्यादा प्रचलित कृति में से एक है। यह सबसे पहले  संवत् १९६९ में प्रकाशित की गई थी और इसके पचासों संस्करण आ चुके हैं। एक समय यह भी था जब ‘भारत-भारती’ के पद्य प्रत्येक हिन्दी-भाषी के मुख पर थे। गुप्त जी का सबसे प्यारा हरिगीतिका छन्द इस कृति में प्रयुक्त

किया गया है।

Explanation:

आशे, तुम्हारे की भरोसे जी रहे हम सभी , सब कुछ गया रे हाय रे।

तुमको न छोड़ेंगे कभी आशे, तुम्हारे ही सहारे टिक रही है यह मही।

धोखा न दीजो अन्त में, बिनती हमारी है यही॥​

संदर्भ : यह पंक्तियां राष्ट्रकवि ‘मैथिलीशरण गुप्त’ द्वारा रचित “भारत-भारती” नामक काव्य कृति से ली गई हैं। इस काव्य कृति में कवि ने स्वदेश प्रेम को दर्शाया है और भारत की वर्तमान दुर्दशा से उबरने के लिए समाधान खोजने का एक प्रयास किया है।  

व्याख्या : कवि कहते है कि सभी भारतवासी अपनी दुर्दशा को दर्शाते हुए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि हे ईश्वर हम सब तुम्हारे भरोसे ही अपना जीवन जी रहे हैं। हमारा सब कुछ लुट गया है, अब हमारे पास कुछ भी नहीं है। लेकिन फिर भी हम तुम्हारा साथ नहीं छोड़ने वाले। हम जानते हैं कि यह संसार तुम्हारे सहारे ही चल रहा है। बस हमारी आप से यही प्रार्थना है कि आप हमारा साथ ना छोड़ना और सदैव हमारा हाथ पकड़े रहना।

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