आशय लिखित। :=ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है,
शत्रु हट गया लेकिन उसकी
छायाओं का डर है,
शोषण से मत है समाज
कमजोर हमारा घर है.
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आशय लिखित। :=ऊँची हुई मशाल हमारी आगे कठिन डगर है,
इन पंक्तियों का आशय है कि हमारे देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति मिलने के बाद सभी भारतवासियों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है, लेकिन अब आगे की राह बेहद कठिन है।
व्याख्या :
हमें आजादी मिल तो गई है लेकिन अब हमें इस आजादी को संभाल कर रखना है। हमारे आने वाला समय कठिनाइयों से भरा है। हमारे शत्रु अंग्रेज हमें गुलाम बना कर हमें खोखला कर के चले गए हैं और अपनी छाया के रूप में वह कुछ छद्म शत्रुयों को यहीं पर छोड़ गए है। हमें इन छद्म शत्रुओं से डर है और उन से सावधान रहने की जरूरत है। हमारा समाज शोषण का शिकार है और उसकी हालत ठीक नहीं है। हमारा देश भी आर्थिक रूप से विपन्न है इसलिए हमें इन सब बातों से पार पाना होगा।
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