आशय स्पष्ट कीजिए-
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ
होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।"
Answers
Explanation:-
यह पंक्ति क्षितिज पुस्तक के पाठ , दो नेताजी का चश्मा से लिया गया जिसके लेखक स्वयं प्रकाश जी इस पंक्ति में उस समय को व्यक्त किया गया है जिस समय हालदार साहब ने पान वाले से पूछा था कि लोग च चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों का कर पुकारते हैं, क्या क्या हुआ नेता जी का मित्र है या आजादी के लिए लड़ने वाला कोई सिपाही तब उसने जवाब दिया तब वह जवाब देते हुए बोला लंगड़ा किया जाएगा पागल है पागल जाओ उससे ही बात कर लो फोटो फोटो छपवा दो कही पान वाले के द्वारा एक देश भाग्य का इस प्रकार से अपमान करना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा और वह मन ही मन बोल उठे ना जाने क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ
यह पंक्ति क्षितिज पुस्तक के पाठ , दो नेताजी का चश्मा से लिया गया जिसके लेखक स्वयं प्रकाश जी इस पंक्ति में उस समय को व्यक्त किया गया है जिस समय हालदार साहब ने पान वाले से पूछा था कि लोग च चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों का कर पुकारते हैं, क्या क्या हुआ नेता जी का मित्र है या आजादी के लिए लड़ने वाला कोई सिपाही तब उसने जवाब दिया तब वह जवाब देते हुए बोला लंगड़ा किया जाएगा पागल है पागल जाओ उससे ही बात कर लो फोटो फोटो छपवा दो कही पान वाले के द्वारा एक देश भाग्य का इस प्रकार से अपमान करना हालदार साहब को अच्छा नहीं लगा और वह मन ही मन बोल उठे ना जाने क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछहोम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।"