Hindi, asked by ishitar678, 15 days ago

आशय स्पष्ट कीजिए ‘‘बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।​

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Answered by aryan1726
43

Answer:

“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िन्दगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।” लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है।

Good Morning Ishita dii......

Answered by kaushikparul19
29

Answer:

बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िन्दगी सब कुछ होम देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।” लेखक का उपरोक्त वाक्य से यह आशय है कि लेखक बार-बार यही सोचता है कि उस देश के लोगों का क्या होगा जो अपने देश के लिए सब न्योछावर करने वालों पर हँसते है।

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