आशय स्पष्ट कीजिए-
चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना।
काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।।
जोकि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना।
'है कठिन कुछ भी नहीं' जिनके है जी में यह ठना।।
कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं।
कौन-सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं।
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Chahe karya kitna bhi kathin ho yaadi u sse karne ki lalsa ho to Mehnat see kuch bhi kiya ja sakta hai Chahe wo kitna bhi kathin ho.
HOPE IT HELPS .
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शेर का सामना करने का क्या तात्पर्य है?
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