Hindi, asked by jyotidwivedi73628, 5 months ago


आशय स्पष्ट कीजिए- (Explain the followi
1. हम पुरोहित फिर कौन दिन के लिए हैं।​

Answers

Answered by pk602826
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Answer:

Explanation:

प्रश्न 1.

फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

उत्तर-

देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है। फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जिस प्रकार देवदार का वृक्ष वृहदाकार होने के कारण लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे। तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।

प्रश्न 2.

फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

उत्तर-

फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग बन चुके थे। उन्होंने भारत में रहकर अपने देश घर-परिवार आदि को पूरी तरह से भुला दिया था। 47 वर्षों तक भारत में रहने वाले फ़ादर केवल तीन बार ही अपने परिवार से मिलने बेल्जियम गए। वे भारत को ही अपना देश समझने लगे थे। वे भारत की मिट्टी और यहाँ की संस्कृति में रच बस गए थे। पहले तो उन्होंने यहाँ रहकर पढ़ाई की फिर डॉ. धीरेंद्र वर्मा के सान्निध्य में रामकथा उत्पत्ति और विकास पर अपना शोध प्रबंध पूरा किया। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया। इस तरह वे भारतीय संस्कृति के होकर रह गए थे।

प्रश्न 3.

पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

उत्तर-

फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट करने वाले प्रसंग निम्नलिखित हैं

फ़ादर बुल्के ने कोलकाता से बी०ए० करने के बाद हिंदी में एम०ए० इलाहाबाद से किया।

उन्होंने प्रामाणिक अंग्रेज़ी हिंदी शब्दकोश तैयार किया।

मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लू बर्ड’ का हिंदी में ‘नील पंछी’ नाम से रूपांतरण किया।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ‘रामकथा-उत्पत्ति एवं विकास’ पर शोध प्रबंध लिखा।

परिमल नामक हिंदी साहित्यिक संस्था के सदस्य बने।

वे हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलवाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहे।

प्रश्न 4.

इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर-

फ़ादर बुल्के एक निष्काम कर्मयोगी थे। वे लम्बे, गोरे, भूरी दाढ़ी व नीली आँखों वाले चुम्बकिय आकर्षण से युक्त संन्यासी थे। अपने हर प्रियजन के लिए उनके ह्रदय में ममता व अपनत्व की अमृतमयी भावना उमड़ती रहती थी। उनके व्यक्तित्व में मानवीय करुणा की दिव्य चमक थी। वे अपने प्रिय जनों को आशीषों से भर देते थे। वे भारत को ही अपना देश मानते हुए यहीं की संस्कृति में रच -बस गए थे। वे हिंदी के प्रकांड विद्वान थे एवं हिंदी के उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहते थे। उन्होंने हिंदी में पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त ”ब्लू-बर्ड ”ताठा ”बाइबिल ”का हिंदी अनुवाद भी किया। फ़ादर बुल्के अपने स्नेहीजनों के व्यक्तिगत सुख -दुख का सदा ध्यान रखते थे। वे रिश्ते बनाते थे ,तो तोड़ते नहीं थे। उनके सांत्वना भरे शब्दों से लोगों का हृदय प्रकाशित हो उठता था। अपने व्यक्तित्व की महानता के कारण ही वे सभी की श्रद्धा के पात्र थे।

प्रश्न 5.

लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?

उत्तर-

लेखक ने फ़ादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा है क्योंकि फ़ादर नेक दिल वाले वह व्यक्ति थे जिनकी रगों में दूसरों के लिए प्यार, अपनत्व और ममता भरी थी। वह लोभ, क्रोध कटुभाषिता से कोसों दूर थे। वे अपने परिचितों के लिए स्नेह और ममता रखते थे। वे दूसरों के दुख में सदैव शामिल होते थे और अपने सांत्वना भरे शब्दों से उसका दुख हर लेते थे। लेखक को अपनी पत्नी और बच्चे की मृत्यु पर फ़ादर के सांत्वना भरे शब्दों से शांति मिली थी। वे अपने प्रेम और वत्सलता के लिए जाने जाते थे।

प्रश्न 6.

फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नई छवि प्रस्तुत की है, कैसे?

उत्तर-

परंपरागत रूप से संन्यासी एक अलग छवि लेकर जीते हैं। उनका विशेष पहनावा होता है। वे सांसारिकता से दूर होकर एकांत में जीवन बिताते हैं। उन्हें मानवीय संबंधों और मोह-माया से कुछ लेना-देना नहीं होता है। वे लोगों के सुख-दुख से तटस्थ रहते हैं और ईश वंदना में समय बिताते हैं।

फ़ादर बुल्के परंपरागत संन्यासियों से भिन्न थे। वे मन के नहीं संकल्प के संन्यासी थे। वे एक बार संबंध बनाकर तोड़ना नहीं जानते थे। वे लोगों से अत्यंत आत्मीयता से मिलते थे। वे अपने परिचितों के दुख-सुख में शामिल होते थे और देवदारु वृक्ष की सी शीतलता से भर देते थे। इस तरह उन्होंने परंपरागत संन्यासी से हटकर अलग छवि प्रस्तुत की।

प्रश्न 7.

आशय स्पष्ट कीजिए

(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।

(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।

उत्तर-

(क)

आशय यह है कि फ़ादर की मृत्यु पर अनेक साहित्यकार, हिंदी प्रेमी, ईसाई धर्मानुयायी एवं अन्य लोग इतनी संख्या में उपस्थित होकर शोक संवेदना प्रकट कर रहे थे कि उनकी गणना करना कठिन

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