| आशय स्पष्ट कीजिए।
(i) क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।
(ii) सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ती विनय की,
संधि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की।
Answers
आशय इस प्रकार है...
(i) क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।
व्याख्या ➲ अर्थात किसी को क्षमा करना उसी साँप को शोभा देता है, जिसके पास विष है। वह साँप किसी को क्या क्षमा करेगा, जिसके पास दाँत ही नहीं हों। कहने का आशय है कि क्षमा केवल वीरों को ही शोभा देती है। कायर लोग किसी को क्या क्षमा कर सकते हैं।
(ii) सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ती विनय की,
संधि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की।
व्याख्या ➲ अर्थात विनम्रता की चमक बाण में ही रहती है। राजनीतिक मित्रता की बातें केवल उसके ही मानने योग्य होती हैं, जिसमें जीतने की सामर्थ होती है। जिसमें शक्ति नहीं है, सामर्थ्य नहीं है, उसकी विनम्रता में वह बात नहीं जो किसी सामर्थ्यवान व्यक्ति में होती है।
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इस वाक्य का यह कथन है कि
Explanation:
तत