आशय स्पष्ट कीजजए –
ननज गौरव का ननत ज्ञान रहे , हम भी क
ु
छ हैं–यह ध्यान रहे | बनता बस
उद्यम ही ववधि है , ममऱती जजससे सु
ख की ननधि है
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ऐसा कौन सा गौरव है, तुम जिसके योग्य नहीं हो? ऐसा कौन सा सुख है, जो तुम्हें नहीं प्राप्त हो सकता? अन्य सभी लोगों की तरह तुम भी ईश्वर की संतान हो। ईश्वर की संतान के लिए कौन सी चीज दुर्लभ है? इसलिए निराश न हो।
भाग्यवाद का सहारा लेकर दुख मत प्रकट करो। लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करो। उद्यम या प्रयास ही एकमात्र विधि है। जिससे सभी सुख प्राप्त हो सकते हैं। निष्क्रिय जीवन को धिक्कार है।
इसलिए हे मानव अपने मन से निराशा को निकाल दो आइए कुछ काम करो।
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