आशय स्पष्ट करो अपने प्राणों का इतना मुंह है दूसरों के प्राणों का नहीं
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अपने प्राणों का इतना मुंह है दूसरों के प्राणों का नहीं ::--
स्वार्थ वस किसी के प्राणों की परवाह न करते हुए दुसरों को परेशानी में डालना |
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अपने प्राण का मोह सभी को है पर दूसरों के प्राणो का नहीं इसका अर्थ है जब भी खुद का जीवन दावँ पर लगता है तो मानव पहले अपनी जान की रक्षा करता है तब वह किसी और के बारे में नहि सोचता
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