Hindi, asked by priyaverma9892868, 22 days ago


आशय स्पष्ट करे
होती सीमाहीन क्षितिज से, इन पंखों की होड़ा-होड़ी। या तो क्षितिज मिलन बन जाता, या तनती साँसों की डोरी।​

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Answered by kkumaravi07
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Answer:

नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्‍न-भिन्‍न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं, तो आकुल उड़ान में विघ्‍न न डालो।

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