आशय स्पष्ट करें-
(i) हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है।
(ii) हँसी जीवन की मीठी मदिरा है।
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(क) “हँसी भीतरी आनंद को प्रकट करने का बाहरी चिह्न है।” इस कथन से लेखक का आशय यह है कि हँसी हृदय का आंतरिक आनंद प्रकट करती है। इसके साथ-साथ हँसने से स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहता है। (ख) गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हँसने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है। 'हँसना' शरीर को स्वस्थ रखने की श्रेष्ठ औषधि है।
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