आशय स्पष्ट करें:-
क. चिड़िया बैठी प्रेम-प्रीति की,
रीति हमें सिखलाती है।
वह जग के बंदी मानव को,
मुक्ति-मंत्र सिखलाती है।
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चिड़िया / आरसी प्रसाद सिंह
चिड़िया बैठी प्रेम-प्रीति की रीति हमें सिखलाती है । वह जग के बंदी मानव को मुक्ति-मंत्र बतलाती है । वन में जितने पंछी हैं- खंजन, कपोत, चातक, कोकिल, काक, हंस, शुक, आदि वास करते सब आपस में हिलमिल ।
Explanation:
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