Hindi, asked by shivisingh93, 2 months ago

आशय स्पष्ट करें-
"किसी भी देव मंदिर की मूर्ति की शक्ति उतनी मात्रा तक ही संभव है,
जितनी मात्रा तक उसके पुजारी की पूजा- भावना में नैवेद्य-भावना भरी
रहती है।

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Answered by pk737055
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Explanation:

किसी भी देव मंदिर की मूर्ति की शक्ति इतनी माता ताकि संभव जितनी माता का उसके पुजारी की पूजा भावना मैंने वैद्य भावना भरे रहते इस कथन का आशय यह है कि जब तक आपके मन में भगवान के प्रति श्रद्धा है तब तक मंदिर की मूर्ति में इतनी शक्ति पाई जाएगी और अगर आप में भगवान के प्रति कोई भी श्रद्धा नहीं है तो उस मंदिर की मूर्ति में भी कोई भी शक्ति आपको महसूस

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