आशयस्थ क. श्रम का यह कैसा उत्सव है! नित्य-उत्सव! अ. जिंदगी तो कुल एक पीढ़ी भर की होती है, पर नेक काम पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता रता है। ग. ऐसी चादर तो बस नर्मदा ही बन सकती है और ऐसी चादर तो बस धरती ही ओढ़ सकती है।
hindi Chapter Saunarya ki nadi narmada
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hyy do urself thx sister
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