आष्टपात्मिक मनुष्प के दो पक्ष कौन से है?
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प्रत्येक वस्तु के २ पहलू होते हैं — एक उजला और दूसरा अंधेरा । उजला पक्ष उस वस्तु के गुणों को बतलाता है तो अंधेरा पक्ष उसके दोषों को प्रकट करता है । अध्यात्म का उजला पक्ष है सकारात्मक चिंतन अर्थात् पोजिटिव थिंकिंग । इसका प्रारम्भ अपने शरीर से होता है । शरीर को अष्टांग योग के नियमों में बांधना पड़ता है । मन , बुद्धि , चित्त और अहंकार को प्रशिक्षित करना पड़ता है , तब आत्मा के साम्राज्य में प्रवेश होता है । आत्मसाक्षात्कार करके पूर्णता को प्राप्त होता है ।
अध्यात्म के अंधेरे पक्ष में व्यक्ति एकांत पसंद हो जाता है । उसे एक अजीब सा नशा हो जाता है । कई बार शक्तियां पाकर उन्मत्त हो जाता है और उसे अहंकार होने लगता है । शक्तियों के मद में कई बार दिखावा करने लगता है ।
यदि उसे उचित गुरु का संरक्षण मिले तो भवसागर से पार हो जाता है । गुरु समर्थ न हो तो डूब जाता है । इसलिए अंधेरे से बचते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए ।