Hindi, asked by adityakoshyari26, 5 days ago

आषाढ़ का एक ददि ‘ िाटक में अंक 1 का सारांि अपिे िब्दों में लिखें

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Answered by MizBroken
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तीन अंकों में 'आषाढ़ का एक दिन' नाटक की रचना की गयी है। प्रथम अंक के आरंभ में छाज से धान फटकती हुई अंबिका के दर्शन होते हैं। तभी वर्षा में भीगकर आई मल्लिका का प्रवेश होता है। दोनों के वार्तालाप से ज्ञात होता है कि मल्लिका अंबिका की पुत्री है। मल्लिका ने कालिदास के साथ आषाढ़ की पहली बरसात में भीगने का आनंद उठाया है इसलिए वह अपने इस सौभाग्य पर मुग्ध है। परंतु अंबिका को मल्लिका का यह आचरण अनुचित प्रतीत होता है- वैयक्तिक स्तर पर भी और सामाजिक स्तर पर भी। वह कालिदास को नापसंद करती है क्योंकि वह भावनाओं में निमग्न रहने वाला एक अव्यावहारिक व्यक्ति है जिससे यह आशा करनी व्यर्थ है कि वह मल्लिका को किसी प्रकार का सांसारिक सुख दे पायेगा। सामाजिक स्तर पर वह उन दोनों से इसलिए क्रुद्ध है क्योंकि प्रेमी युगल का विवाह से पूर्व इस प्रकार घूमना-फिरना लोकापवाद का कारण हो सकता है। उन दोनों के वाद-विवाद के बीच ही कालिदास भी आते है। उन्हें किसी राजपुरुष के बाण से आहत हरिण शावक के प्राण-रक्षा की चिंता है। राजपुरुष दंतुल भी अपने उस शिकार को खोजते हुए वहाँ पहुँच जाते हैं। कालिदास और दन्तुल में वाद-विवाद होता है। दन्तुल अपने राजपुरुष होने के दर्प में चूर है परंतु जब उसे ज्ञात होता है कि जिस व्यक्ति से वह तर्क-वितर्क कर रहा था वह प्रसिद्ध कवि कालिदास हैं तो उसका स्वर और भावभंगिमा तुरंत बदल जाती है। वह उनसे क्षमा माँगने को भी तैयार है क्योंकि सम्राट चंद्रगुप्त के आदेश पर वह उन्हीं को लेने तो वहाँ आया था। इस सूचना से ही कालिदास को राजकीय सम्मान का अधिकारी समझा गया है मल्लिका प्रसन्न हो जाती है, परंतु अम्बिका पर मानो इस सबका कोई प्रभाव ही नहीं पड़ता। दोनों एक दूसरे को अपना दृष्टिकोण समझाने का प्रयास करती हैं, तभी मातुल का आगमन होता है। मातुल कालिदास के संरक्षक हैं पर उनकी भाँति भावुक नहीं वरन् अति व्यावहारिक। वे राजकीय सम्मान के इस अवसर को किसी भी प्रकार खोना नहीं चाहते। कालिदास की उदासीनता से भी वे नाराज हैं। निक्षेप कालिदास की मनःस्थिति को समझता है परंतु इस अवसर को खोने के पक्ष में वह भी नहीं है इसलिए वह मल्लिका से अनुरोध करता है कि वह कालिदास को समझाये। इसी अंक में विलोम का भी प्रवेश होता है। उसकी बातों से ज्ञात होता है कि वह मल्लिका से प्रेम करता है। वह यह भी जानता है कि मल्लिका कालिदास को चाहती है और उसके जीवन में विलोम का कोई स्थान नहीं। वस्तुतः ऐसा स्वाभाविक भी है क्योंकि उसका व्यक्तित्व कालिदास के व्यक्तित्व से नितान्त विपरीत है। कालिदास के इस सम्मान से वह थोड़ा दुःखी दिखाई देता है जिसकी अभिव्यक्ति उसके व्यंग्यपूर्ण कटाक्षों से होती है। उसके कारण कई हैं एक उसके मन का ईर्ष्या-भाव है। कालिदास को वह अपने प्रतिद्वंद्वी की भाँति ग्रहण करता है और उसे लगता है कि इस प्रतिद्वंद्विता में कालिदास का स्थान उससे ऊपर हो गया है। दो, वह कालिदास और मल्लिका के पारस्परिक स्नेह-भाव को भलीभाँति समझता है। वह जानता है कि कालिदास के चले जाने से मल्लिका दुःखी हो जायेगी और मल्लिका का दुःख उसे असहाय है। तीन, उसे आशंका है कि उज्जयिनी का नागरिक वातावरण, राज्य सत्ता की सुख-सुविधाएँ, आमोद-प्रमोद में कालिदास जैसा व्यक्तित्व कहीं खो न जाये, उसकी रचनाशीलता को कोई क्षति न पहुँचे, विलोम के मन में जो शंका है वही कालिदास के मन में भी है। उज्जयिनी जाने-न-जाने की दुविधा का कारण यही शंका है। परंतु मल्लिका के मन में इस प्रकार की कोई शंका नहीं। उसे कालिदास की प्रतिभा पर विश्वास है। यहाँ रोक कर वह उसे स्थानीय कवि नहीं बने रहने देना चाहती। उज्जयिनी जाकर उसके अनुभवों में विस्तार हो, राजकीय सुख-सुविधाओं के बीच अपने अभावों को भूल कर साहित्य-रचना में वह लीन हो जाए, उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैले भले ही इसके लिए उसे कालिदास का वियोग क्यों न सहना पड़े इसी अभिलाषा से वह कालिदास को उज्जयिनी जाने के लिए मना लेती है।

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Answered by anshkamra43
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MOHAN DAS KARAM CHAND GANDHI ALSO KNOWN AS MAHATMA GANDHI IS FATHER OF NATION AND FREEDOM FIGHTER

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