Hindi, asked by samriddhisammy20, 4 months ago

Aasman se gira khajoor pe atka essay in Hindi pls

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Answered by anjaneyrai
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Answer:

दादाजी बाजार से आए तो अमर और लता ने उन्हें घेर लिया-“दादाजी दादाजी! हमारे लिए क्या लाए हो?” ।

दादाजी ने उन्हें एक-एक पेस्ट्री दी और बोले-“जानते हो बच्चो आज क्या हुआ?”

“क्या हुआ दादाजी?” अमर और लता ने पेस्ट्री खाते हुए पूछा। फिर दादाजी ने उन्हें बताया कि जब वह सामान खरीदकर बाजार से घर की तरफ लौट रहे थे तो दो सिपाही एक चोर को पकड़कर ले जा तभी वह चोर उन सिपाहियों को चकमा देकर भाग खड़ा हुआ। व चोर आगे-आगे और सिपाही उसके पीछे-पीछे भाग रहे थे। लोग तमाशा देखने में लगे थे। कुछ ही दूरी पर चोर ठोकर खाकर एक गड्ढे में गिर पड़ा और उसकी एक टाँग टूट गई। बेचारा चोर! एक मुसीबत से छुटकर दूसरी मुसीबत में फंस गया। आसमान से गिरा, खजूर में अटक गया।” दादाजी ने अपनी बात पूरी की तो अमर और लता ताली बजाकर हँस पड़े। “लेकिन दादाजी, इस कहावत की कहानी क्या है? सुनाइए ना ?” लता ने कहा। “अच्छा बेटा, इस कहावत की कहानी सुनाता हूँ।” दादाजी ने कहना शुरू किया-एक बगीचे में एक बिल्ली अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहती थी। बिल्ली के बच्चे अभी अपनी माँ का दूध पीते थे। उन्होंने पेड़ पर चढ़ना-उतरना भी नहीं सीखा था। बस, अपनी माँ के चारों ओर घूमते हुए खेलते रहते थे। बिल्ली उन्हें अपनी पूँछ हिलाकर खिलाती थी। अपनी माँ का लाड़-प्यार पाने की होड़ में कभी-कभी वे एक-दूसरे से लड़ पड़ते थे। ज्यादा शरारती बच्चा सबसे पहले अपनी माँ के पास पहुँच जाता था । वैसे बिल्ली अपने सभी बच्चों से एक समान प्यार करती थी। उन्हें प्यार से चाटती थी। एक दिन बिल्ली अपने बच्चों के साथ बगीचे में बैठी थी। बिल्ली के बच्चे इधर-उधर उछल-कूद और भाग-दौड़ कर रहे थे। उसी समय एक गिद्ध आसमान से नीचे उतरा और तेजी से झपटकर बिल्ली के एक बच्चे को अपने पंजों में दबाकर उड़ गया। यह देखकर कुछ गिद्ध उस बिल्ली के बच्चे को छीनने के लिए उसके आसपास उड़ने लगे। इससे वह गिद्ध घबरा गया और बिल्ली का बच्चा उसके पंजों से निकलकर नीचे गिर पड़ा।

लेकिन यह क्या, वह ऊपर से गिरता हुआ एक लंबे खजूर के पेड़ में अटक गया। उसे पेड़ से उतरना नहीं आता था। इसलिए वह नीचे की तरफ देखकर घबरा गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उस बगीचे में बैठे हुए एक वृद्ध सज्जन सारी घटना देख रहे थे। बिल्ली के बच्चे को खजूर के लंबे पेड़ पर चिल्लाते हुए देखकर उन्हें उस पर दया आ रही थी। अचानक उनके मुँह से निकल पड़ा-“बेचारा! आसमान से गिरा, खजूर में अटक गया। अपने बच्चे की आवाज सुनकर बिल्ली भागकर पेड़ पर चढ़ गई और अपने बच्चे को मुँह में दबाकर नीचे ले आई। ” दादाजी ने कहानी समाप्त करते हुए कहा । “दादाजी, हमें इससे एक सीख मिलती है। हमें कभी भी मुसीबत में घबराना नहीं चाहिए।” अमर ने कहा। “हाँ, दादाजी! और मुसीबत से निकलने के लिए ठंडे दिमाग से कोई तरकीब सोचनी चाहिए।” लता बोली। “बिलकुल ठीक! मुसीबत के समय धीरज से काम लेना चाहिए। घबराना नहीं चाहिए। वरना हमें नुकसान भी हो सकता है।” दादाजी ने समझाते हुए कहा।

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