आतंक मुक्त भारत में युवाओं की भूमिका
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आतंकवाद को किसी भी धर्म से जोडा जाना गलत है। इसे एक प्रकार के हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक,राजनीतिक एवं विचारात्मक लक्ष्यों की प्रतिपूर्ति के लिए गैर-सैनिक अर्थात नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-राज्य कारकों द्वारा किये गए राजनीतिक, वैचारिक हिंसा को भी आतंकवाद की श्रेणी का ही समझा जाता है। अब इसके तहत गैर-क़ानूनी हिंसा और युद्ध को भी शामिल कर लिया गया है। अगर इसी तरह की गतिविधि आपराधिक संगठन द्वारा चलाने या को बढ़ावा देने के लिए करता है तो सामान्यतः उसे आतंकवाद माना जाता है, यद्यपि इन सभी कार्यों को आतंकवाद का नाम दिया जा सकता है आतंकवाद की तुलना की जाती है। पिछले कई वर्षों से अब तक हुए आतंकवादी हमले में आतंकवादी के साथ आतंकी हमलों को अंजाम देनेवाले राजकिय हे प्रेरीत होते है, इससे यह सिद्ध होता है की आतंकवाद को हिंसा करके पूरी दुनिया पर हिंसा जबरन लागू करना चाहते हैं। दुनिया में सिर्फ एक मात्र होना चाहिए, कोई और साथ को नही मानते, उन की संपत्ति, सत्ता की ही बात है, एकता को नही मानते। बावजूद इस के अब तक किसी कई देश ने इन आतंकी संगठनों को खत्म करने काही प्रयास किया। कई देशों में हुई जांच में साबित हो चुका है कि आतंकवादियो कई देशों से आर्थिक सहायता राजकीय हेतुही गुप्त रूप से दी जाती है इस प्रकार आतंकवाद मानवता के लिये एक बहुत ही बड़ी समस्या बन चुका है