आतंकवाद आैर मानवता पर प्रसताव
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आतंकवाद का कोई ठोस परिभाषा नहीं है। जो अपनी मांग पूरी करने के लिए दशहत फैलाते हैं। वह ही आतंकवादी होते है।
आजकल मनुष्यों के बीच से उनकी मनुष्यता को ही जा रही है। सब अपना सोचते हैं।
आतंक और आतंकवाद हमारे देश का एक अहम मुद्दा है।ये लोग केवल अपना स्वार्थ देखते हैं।
हर ५ में से दो मनुष्य आपस में द्वंद करते हैं। जो अपना नहीं है उसे पाने की जिद करते हैं और जो अपना है उसे देखने की कोशिश तक नहीं करते हैं।
आजकल मनुष्यों के बीच से उनकी मनुष्यता को ही जा रही है। सब अपना सोचते हैं।
आतंक और आतंकवाद हमारे देश का एक अहम मुद्दा है।ये लोग केवल अपना स्वार्थ देखते हैं।
हर ५ में से दो मनुष्य आपस में द्वंद करते हैं। जो अपना नहीं है उसे पाने की जिद करते हैं और जो अपना है उसे देखने की कोशिश तक नहीं करते हैं।
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