Hindi, asked by yeotikarprajesh9998, 1 year ago

आतंकवाद के बढ़ते चरण विषय पर 200 शब्दो मे एक दैनिक समाचार पत्र के लिये संपादकीय लिखए

Answers

Answered by Shaizakincsem
167
आतंकवाद की बढ़ती वैश्विक खतरों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि इतिहास, प्रकृति और तंत्र-परिसर की समझ, जो आतंक के चलते संचालित होता है, प्राप्त होती है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस प्रकृति के मुद्दों को संबोधित करते समय नीति निर्माताओं के परिप्रेक्ष्य को आकार देगा। आतंकवाद, जैसा कि समझा जाता है, किसी भी राज्य के कमजोर अभिनेताओं, व्यक्तिगत या समूहों की कार्रवाई नहीं है, जो कुछ कारणों से दब गए, हाशिए पर लगाए गए, या इनकार करते हैं कि वे बुनियादी मानव अधिकार के रूप में क्या देख सकते हैं। सभी आतंकवाद के राजनीतिक उद्देश्य हैं, भले ही अपराधियों ने धार्मिक अवशेषों का उपयोग एक व्यापक मौजूदा श्रोताओं को अपील करने के लिए किया हो, और अपने बिंदु को साबित करने या प्रचार करने के लिए हिंसक कृत्य के माध्यम से प्रतिक्रिया का आह्वान किया। "आत्मघाती आतंकवाद विकास और अभिलक्षण," मार्क सेडगिविक में "आत्मघाती आतंकवाद विकास और अभिलक्षण," मार्क सेडविक और "धार्मिक आतंकवाद की प्रकृति," और डॉ। जेम्स आर्मस्ट्रांग, सभी दर्शाते हैं कि आत्मघाती आतंकवादी हमले राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं, भले ही अपराधी धार्मिक प्रतीकवाद का उपयोग कर सकता है अपने कृत्यों को ठीक करने के लिए

दुनिया में जहां आतंकवाद लगातार हो रहा है, विशेषकर मध्य पूर्व में, यह तर्क दिया जा सकता है कि आतंकवादियों की गतिविधियों में लगे समूह उन लोगों को दब गए हैं और बहुत अधिक शक्तियों का फायदा उठाते हैं। इस प्रकार, आतंकवाद, विशेष रूप से आत्मघाती आतंकवाद उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहां गंभीर अन्याय की व्यवस्था मौजूद है। इसलिए, गैर-राज्य के कलाकारों द्वारा आतंकवाद का वास्तविक उपयोग एक जनक है जिसका उद्देश्य जनसंख्या को उनके पक्ष में ध्रुवीकरण करना है। जन संख्या में लोगों की हत्या करके, वे इस दृष्टिकोण को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं कि राज्य केवल वैध तरीके से मार सकता है - इस प्रकार राज्य प्राधिकरण को कम कर दिया जा सकता है। आर्मस्ट्रांग के रूप में, सेडग्विक और स्चित्ज़र उदाहरण देते हैं, आत्मघाती आतंकवाद एक नया नहीं हो रहा है, लेकिन एक पुरानी ऐतिहासिक घटना है। और जैसे ही आधुनिक दिन आतंकवादी संगठन, विशेषकर अल-कायदा, अपने कार्यों को प्रेरित करने के लिए धार्मिक अवधारणाओं का उपयोग करते हैं (हालांकि उनका तत्काल लक्ष्य राजनीतिक है), विभिन्न पुराने आतंकवादी समूहों ने उनके राजनीतिक अंत को प्राप्त करने के लिए इसी प्रकार से संपर्क किया है।

rekhadevendergosai: Thank you
Answered by nosumittiwari3
19
 \huge{hey \ dear }

 YOUR  \ ANSWER  \ IS \  HERE

\huge{AATANKWAD} ❤❤

     भूमिका – आज पुरे विश्व में आतंक का साया मंडरा रहा है | न जाने कैन-सा हवाई जहाज अगुआ कर लिया जाए और किसी गगनचुंबी इमारत से टकरा दिया जाए | न जाने, कब-कहाँ कौन मारा जाए ? जब आतंकवाद के क्रूर पंजों से संसद, विधानसभा और मुख्यमंत्री तक सुरक्षित नहीं तो आम आदमी कहाँ जाए ?

आतंकवाद क्यों – प्रश्न उठता है कि आतंकवाद क्यों फल-फुल रहा है ? इसके कारण अनेक हैं | एक समाज देश या धर्म का दुसरे तो दबाना और दबे हुए का बदले की भावना से हिंसक हो उठना मुख्य कारण है | बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, भूख, क्षेत्रवाद, धर्माधता आदि अन्य कारण हैं | ये कारण इतने जटिल होते हैं कि कैंसर के समान शरीर को खा जाते हैं | कोई दवाई एन पर असर नहीं डाल पाती | एस कारण आतंकवाद फलता-फूलता रहता है |

     विश्वव्यापी समस्या – आज आतंकवाद की जड़ें बहुत गहरी और विस्तृत हो गई हैं | अनेक आतंकवादी संगठनों के संपर्क-सूत्र पुरे विश्व में फैल गए हैं | ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान में बैठकर जिस तरह अमेरिअक के दो टावरों को ध्वस्त किया ; जिस तरह पाकिस्तानी नागरिकों ने भारत से बहार बैठकर मुंबई, संसद तथा कश्मीर पर आक्रमण किए, उससे उनके अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रमाण मिल जाता है |

     भारत में आतंकबाद – भारत में आतंकबाद का आरंभ स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ-साथ हो गया था | कश्मीर के मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान के बीच जो खींचतान हुई, वह धीरे-धीरे हिन्दू-मुसलमान संघर्ष का घिनौना रूप धारण करने लगी | नए-नए आतंकवादी संगठन कुकुरर्मुतों की तरह उग रहे हैं | नागालैंड, मिज़ोरम, सिक्किम, उतर-पूर्व, तमिलनाडु, असम और अब हैदराबाद – सबमें कोई-न-कोई आतंकबादी गतिविधि जारी है | कहीं नक्सली आतंकवादी गुट मुख्मंत्री चंद्रबाबु पर आक्रमण कर रहा है तो कहीं उल्फा या लिट्टे सिरजोर बने हुए हैं |

     हानियाँ – आतंकवाद फैलने से चारों अशांति का साम्राज्य हो जाता है | लोग चूहों की भाँती साँस लेते है और मरने को तैयार रहते हैं | वहाँ किसी प्रकार की ख़ुशी और उन्नति पसर नहीं पाती | आतंकवादी का कोई दीन-धर्म नहीं होता | वह अपनों का खून बहाने से भी बाज नहीं आता |

     उपाय – आतंकवाद का सफाया करने के लिए जी-जान लगाने की हिम्मत चाहिए | हिम्मत ही नहीं, उसे कुचलने के लिए पूरी सावधानी, कुशलता और तत्परता भी चाहिए | सौभाग्य से अमेरिका के नेतृत्व में ऐसी कुछ शुरुआत हुई है | अगर अन्य देश भी इसी प्रकार संकल्प करके आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए कुछ ठोस उपाय कर सकें तो एक-न-एक दिन यह विश्व आतंकवाद सुशांत प्रदेश बन सकेगा |

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 <marquee > hope it's help you ✌

Sumit Tiwari ❤
from Azamgarh (UP)... ✍
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