आत्मा बेचने का क्या तात्पर्य है
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आत्मा अविनाशी, अनंत वीर्य , अनंत ज्ञान और दर्शन युक्त है, संख्या में भी अनंत है, विश्व के मूल तत्व में आत्मा प्रमुख है जिसे दूसरे शब्दों में जीव भी कहा जाता है। अजीव और जीव दो है मूल तत्व है। आत्मा कर्मों के कारण आवरण युक्त हो जाती है परन्तु मूल स्वरूप में पूर्ण शुद्घ और निर्मल है।
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