आत्म बोध कविता लिखें
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ढीले-ढाले संबंधो को मैंने कसना छोड़ दिया है.... अनुमानों से गढ़े महल में, मैंने बसना छोड़ दिया है... उम्मीदों के नए नए सुख अब कुछ डिगा नहीं पाते है.. फंसे फंसे से अरमानो में , मैंने फंसना छोड़ दिया है.
कविता कोश
कविता कोश भारतीय काव्य को एक जगह संकलित करने के उद्देश्य से आरम्भ की गई एक अव्यावसायिक, सामाजिक व स्वयंसेवी परियोजना है।
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kakskksowiwieieiwodkemmsmeke
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