Sociology, asked by shaluawadhwal36, 6 months ago

आत्म चेतना के 10 स्पंदन और उनके गुण

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Answered by aditiapurva167
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Answer:

चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है।इसे समझें - चेतना का विषय मूलत: भारतीय वेदों, दर्शनों, शास्त्रों इत्यादि में बताई, समझाई गई आध्यात्मिकता से जुडा है, इसलिए चेतना को इसी वैदिक,धार्मिक, सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा सकता है, ना कि पाश्चात्य विचारको के मन्तव्यों पर. संक्षेप में कहें तो चेतना सारे ब्रह्माण्ड में जो व्याप्त परम शक्ति है, कुदरत से बनी हर वस्तु में जो स्पंदित है - पंच महाभूत, छोटे से छोटे जीव से ले कर जानवर, पेड़, पौधे, नदी, समंदर, मनुष्य, हर कुदरती वस्तु, अंतरिक्ष में घूमते विशालकाय, बृहद ग्रहों नक्षत्रों इत्यादि सभी में जो स्पंदित हैं। इसी चेतना के कारण पृथ्वि के उपर समंदर के भीतर का जीवन और समस्त अंतरिक्ष भी जीवंत है। जैसे विद्युत् शक्ति के बिना कोई उपकरण नहीं चल सकता, उसी तरह बिना चेतना के कुछ भी संभव ही नहीं - कोई अस्तित्व संभव ही नहीं।

इसीलिए, चेतना को समझने के लिए भारतीय वेदों और दर्शन शास्त्रों को, इस भारत भूमी की हजारों सालों से जीवंत संस्कृति को भी समझना आवश्यक है, केवल पाश्चात्य विचार धारा से चेतना को समझना नामुमकिन सा होगा।

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