" आत्म खबरि न जाना" का अर्थ
होगा-
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answer aatm khabir na jaane ka arth hai koi kam karne ka bishay hota hai
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आत्म खबरि न जाना" का अर्थ होगा-
आत्म खबरि न जाना का अर्थ है, आत्म ज्ञान ना होना अर्थात अपने अंदर की समझ का ना होना, खुद को ना पहचानना।
ये पंक्ति कबीर के दोहे, देख संत जग बौराना से ली गयी हैं, कबीर कहते हैं कि,
टोपी पहिरे माला पहिरे, छाप तिलक अनुमाना।
साखी सब्दहि गावत भूले, आतम खबरि न जाना।
यानि कि मुस्लिम लोग टोपी पहनकर और हिंदु लोग माल फेरकर तिलक लगाकर घूमते है। लेकिन ये सब पाखंड और दिखावा है, क्योंकि ये लोग साखी शब्द के असली अर्थ को भूल गये हैं। इन्हें ईश्वर के सच्चे रूप का ज्ञान नही है। ये लोगों को आत्म ज्ञान नही है।
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