आत्मोन्नति के लिए उपयोगी है।
महात्मा आनन्द स्वामी ने गायत्री जप के लाभ का वर्णन करते
हुए कहा है कि जब वे आठ या नौ वर्ष के थे तो मन्द बुद्धि होने के
कारण बड़े निराश रहा करते थे। वे अपने जीवन को बिल्कुल निरर्थक
समझते थे क्योंकि कोई भी उनसे प्रसन्न नहीं रहता था। उनकी इस
दयनीय अवस्था को सुनकर आर्य जगत् के प्रसिद्ध संन्यासी स्वामी
नित्यानन्दजी ने उन्हें गायत्री मन्त्र दिया और प्रातःकाल होने से पूर्व इस
मन्त्र को अर्थ-ज्ञान और अनुकूल आचरण सहित जप करने का आदेश
दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके जीवन की काया पलट गई।
वे प्रतिदिन उन्नति करने लगे। मन्त्र जप से उनकी एकाग्रता बढ़ने लगी,
बुद्धि तीव्र होने लगी, मन पढ़ाई में लगने लगा, बुद्धि विषयों को समझने
लगी, तो वे कक्षा में प्रथम आने लगे। युवावस्था में भी वे इस अर्थ-सहित
गायत्री जप के प्रभाव से सदा आगे ही बढ़ते गए।
अतः श्रद्धा और विश्वासपूर्वक एकाग्रमन से अर्थ चिन्तन सहित
गायत्री मन्त्र का जप करो
(((((Is chapter se do MCQ que banae and unke answers bhi jldi Hindi me please)))))
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mughe nahi paths hai ......
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