आत्म निर्भर भारत भारतीय सविधान और लोकतंत्र सबसे बड़े हिमयती है इसपर निबंध कैसें लिखे
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- स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्य में माईगव के साथ साझेदारी में शिक्षा मंत्रालय देश भर में स्कूली छात्रों के लिए एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। 9वीं से लेकर 10वीं या माध्यमिक स्तर और 11वीं से लेकर 12वीं या उच्च माध्यमिक स्तर के विशिष्ट आयु वर्ग के छात्र इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकेंगे। यह प्रतियोगिता ऑनलाइन आयोजित की जा रही है। इस आयोजन के लिए एनसीईआरटी नोडल एजेंसी होगी। निबंध लेखन के लिए मुख्य विषय, 'आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत' है।
- इसके अंतर्गत उप-विषय के तौर पर 'आत्मनिर्भर भारत के लिए भारतीय संविधान और हमारा लोकतंत्र सबसे बड़े हिमायती हैं।' 75 साल का भारत: आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता देश।' एवं 8 अन्य उप-विषय निर्धारित किए गए हैं।
- इसके अंतर्गत उप-विषय के तौर पर 'आत्मनिर्भर भारत के लिए भारतीय संविधान और हमारा लोकतंत्र सबसे बड़े हिमायती हैं।' 75 साल का भारत: आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता देश।' एवं 8 अन्य उप-विषय निर्धारित किए गए हैं।केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा 'निबंधों का चयन दो स्तरों पर किया जाएगा। सबसे पहले, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर निबंधों को अंतिम चयन किया जाएगा। दूसरा, प्रत्येक राज्य से चयनित 10 निबंधों से एनसीईआरटी द्वारा तय विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर अंतिम चयन के लिए चयनित निबंधों का पूल बनेगा।'
- एनसीईआरटी द्वारा प्रत्येक श्रेणी यानी माध्यमिक चरण और उच्चतर माध्यमिक चरण में 30 निबंधों का चयन किया जाएगा। जल्द ही राष्ट्रीय स्तर के विजेताओं के लिए पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी। देश के किसी भी हिस्से से छात्र ऑनलाइन ही 14 अगस्त तक अपनी प्रविष्टियां जमा करवा सकते हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया संबोधन में 'एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण' का वादा किया है.
पीएम मोदी का 'आत्मनिर्भर भारत अभियान', उनकी पार्टी की मूल अवधारणा के अनुसार एक महत्वकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य सिर्फ़ कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से लड़ना नहीं, बल्कि भविष्य के भारत का पुनर्निर्माण करना है.
मंगलवार शाम के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, "अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है."
वे बोले, "हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिज़र्व बैंक के फ़ैसले थे और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये क़रीब-क़रीब 20 लाख करोड़ रुपये का है. ये पैकेज भारत की जीडीपी का क़रीब-क़रीब 10 प्रतिशत है. 20 लाख करोड़ रुपये का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा."
भारत में 'स्वदेशी' एक विचार के रूप में देखा जाता है, जो भारत की संरक्षणवादी अर्थव्यवस्था का आर्थिक मॉडल रहा और राष्ट्रवादी तबक़ा इस विचार की वकालत भी करता रहा है, लेकिन पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहीं भी 'स्वदेशी' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.
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जबकि आत्म-निर्भर भारत बनाने का पीएम मोदी का विचार 'स्वदेशी' के काफ़ी क़रीब दिखता है और उन्होंने अपने संबोधन में खादी ग्राम उद्योग के उत्पादों की अच्छी बिक्री का ज़िक्र भी किया.
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दशकों तक, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया के लिए खुली नहीं थी. बाहरी दुनिया पर संदेह और आत्मविश्वास में कमी भी थी. पिछली शताब्दी के अंतिम चार दशकों के भारत ने स्वदेशी मॉडल पर भरोसा करते हुए पाँच साल की नियोजित अर्थव्यवस्था का अनुसरण किया और 2.5 से 3 प्रतिशत विकास दर के साथ वृद्धि की जिसे कभी 'विकास की हिंदू दर' के रूप में भी जाना जाता था.
अंत में, भारत को अपने आर्थिक संकटों की वजह से साल 1991 में बाहरी दुनिया के लिए अपने दरवाज़े खोलने पर मजबूर होना पड़ा.
आज भारत एक बार फिर 'आत्म-निर्भर' बनने के लिए भीतर की ओर देख रहा है. भले ही मोदी ने दावा किया है कि उनकी आत्म-निर्भरता वाली बात का मतलब दुनिया से कनेक्शन तोड़ लेना नहीं है, पर मोदी जो कह रहे हैं उसे निभा पाना आसान नहीं होगा, ख़ासतौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के ऐसे दौर में, जब अमरीका के स्टॉक मार्केट की हर एक हलचल चीन और भारत के बाज़ारों पर सीधा असर डालती है.
इसके अलावा, स्थानीय उत्पादों का उत्पादन करने और उन्हें प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने के लिए स्थानीय उद्यमियों और निर्माताओं को कुछ सुरक्षा राशि भी देनी होगी जिससे विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों के साथ भारत का सीधा टकराव होगा.
हालांकि, बीजेपी के एक अंदरूनी सूत्र ने पीएम मोदी के आत्म-निर्भरता के दृष्टिकोण को बहुत अलग बताया.
Image copyrightGETTY IMAGESप्रधानमंत्री मोदी
उन्होंने कहा, "भारत के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण में आत्मनिर्भरता ना तो बहिष्करण है और ना ही अलगाववादी रवैया. ज़ोर इस बात पर है कि दक्षता में सुधार किया जाये. इसके अलावा दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए दुनिया की मदद करना मोदी सरकार का विचार है."
लेकिन 'स्वदेशी जागरण मंच' के अरुण ओझा कहते हैं कि "कोरोना महामारी के बाद आर्थिक राष्ट्रवाद' सभी देशों में आएगा."
आरएसएस से जुड़ी इस संस्था ने पीएम मोदी के आत्म-निर्भर बनने के विचार का स्वागत किया है.
अरुण ओझा ने कहा, "हम तो वर्षों से आत्म-निर्भरता और स्वदेशी मॉडल की वकालत कर रहे हैं."
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही 'अमरीका फ़र्स्ट' यानी 'अमरीका को प्राथमिकता' की नीति का पालन कर रहे हैं और भारत अमरीका के साथ व्यापार या शुल्क आदि से संबंधित विवाद का सामना नहीं कर सकता.
डोनाल्ड ट्रंप 25 फ़रवरी को अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान भारत की सीमा-शुल्क की दरों के बारे में सीधी बात कह चुके हैं. उन्होंने कहा था, "भारत में शायद दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ़ हैं और इन्हें कम से कम अमरीका के साथ रोका जाना चाहिए."
Image copyrightPALLAVA BAGLA/GETTYमोदी और ट्रंप
चौंतीस मिनट के अपने संबोधन में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'हमें लोकल चीज़ों को लेकर वोकल होना चाहिए.' यानी भारतीयों को स्थानीय चीज़ों के बारे में ज़्यादा बात करनी चाहिए, खुलकर बात करनी चाहिए.
एक नारे के रूप में यह सुनना बहुत अच्छा लगता है. आत्म-निर्भरता वैसे भी हर देश का एक वांछित सपना है. लेकिन इस काम के क्रियान्वयन में मोदी लड़खड़ा सकते हैं, जैसे उनके ख़ास प्रोजेक्ट 'मेक इन इंडिया' के संबंध में देखा गया.
भारत सरकार का 'मेक इन इंडिया' प्रोजेक्ट भारत को मैन्युफ़ैक्चरिंग का हब बनाने में विफल रहा है जो इस प्रोजेक्ट का घोषित उद्देश्य था.
जैसा कि कुछ आलोचकों ने कहा भी है कि "मोदी वादा कुछ ज़्यादा और डिलीवरी थोड़ी कम करते हैं."
प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में 'देश को आत्मनिर्भर बनाने' पर सारा ज़ोर दिया, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बताया कि इसे संभव कैसे किया जाएगा. उन्होंने कुछ संकेत ज़रूर दिये, जैसे उन्होंने कहा कि ये पाँच स्तंभों पर आधारित होगा: अर्थव्यवस्था, बुनियाद