आत्म निर्भर बनना सभी बच्चों को अच्छा लगता है। परंतु कई बार जीवन में ऐसी घटनाएं भी घटित होती हैं, जब लगता है कि अगर हम छोटे होते तो ज्यादा अच्छा था। किसी ऐसी घटना का वर्णन करते हुए अपने बड़े भाई को पत्र लिखें।
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खेल, बच्चे की स्वाभाविक क्रिया है। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चे विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं। ये विभिन्न प्रकार के खेल बच्चों के समपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। खेल से बच्चों का शारीरिक विकास, संज्ञानात्मक विकास, संवेगात्मक विकास, सामाजिक विकास एवम् नैतिक विकास को बढ़ावा मिलता है किन्तु अभिभावकों की खेल के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति एवम् क्रियाकलाप ने बुरी तरह प्रभावित किया हैं। अतः यह अनिवार्य है कि शिक्षक और माता-पिता खेल के महत्व को समझें।
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आत्मर्निभर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘आत्म’ और ‘र्निभर’, यह संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है।
‘आत्म’ शब्द का आशय स्वंय से हैं और ‘निर्भर’ शब्द से आशय उन सभी कामों से हैं जो आप खुद करते हैं या दूसरों से करवाते हैं । आत्मनिर्भरता आपको दूसरों की परवाह किए बिना, वो करने की आज़ादी देती है जो आप चाहते हैं। साथ ही, अध्ययनों से ज्ञात होता है कि अधिक आत्मनिर्भर लोग ख़ुद को ज़्यादा ख़ुश महसूस करते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब हम अपनी ज़िन्दगी को अपने हाथों में लेने के काबिल हो जाते हैं, तब ज़्यादा राहत और संतुष्टि का अनुभव करते हैं। दुनिया र्निभरता पर आधारित है। अर्थात दुनिया में जो भी कुछ है वो किसी न किसी पर निर्भर है और ये निर्भरता ही दुनिया को संचालित करती है।